Tuesday, 13 December 2016

15 बातें जिन्हें जानने के बाद आप रोज खाएंगे अमरूद...


अमरूद में मौजूद विटामिन और खनिज शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाने में मददगार होते हैं। साथ ही ये Immune System को भी मजबूत बनाता है। अमरूद खाने की सलाह डॉक्‍टर भी देते हैं।
अमरूद खाने के और क्‍या हैं फायदे, इसके बारे में बता रही हैं न्यूट्रीशन सलाहकार देबजानी बनर्जी...
15 बातें जिन्हें जानने के बाद आप रोज खाएंगे अमरूद...
1. हाई एनर्जी फ्रूट
अमरूद हाई एनर्जी फ्रूट है जिसमें भरपूर मात्रा में विटामिन और मिनरल्‍स पाए जाते हैं. ये तत्व हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं.

2. डीएनए को सुधारे
अमरूद में पाया जाने वाला विटामिन बी-9 शरीर की कोशिकाओं और डीएनए को सुधारने का काम करता है.
3. दिल का साथी
अमरूद में मौजूद पोटैशियम और मैग्‍नीशियम दिल और मांसपेशियों को दुरुस्‍त रखकर उन्‍हें कई बीमारियों से बचाता है.
4. मजबूत करे इम्‍यूनिटी
अगर आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं तो अमरूद का सेवन करना बहुत फायदेमंद होगा.
5. सर्दी-जुकाम
अमरूद के नियमित सेवन से सर्दी जुकाम जैसी समस्‍याओं के होने का खतरा कम हो जाता है.

6. विटामिन ए और ई
अमरूद में पाया जाने वाला विटामिन ए और ई आंखों, बालों और त्‍वचा को पोषण देता है.
7. कैंसर से बचाव
अमरूद में मौजूद लाइकोपीन नामक फाइटो न्‍यूट्र‍िएंट्स शरीर को कैंसर और ट्यूमर के खतरे से बचाने में सहायक होते हैं.
8. स्किन केयर
अमरूद में बीटा कैरोटीन होता है जो शरीर को त्‍वचा संबंधी बीमारियों से बचाता है.

9. कब्‍ज की समस्‍या
अमरूद का नियमित सेवन करने से कब्‍ज की समस्‍या में राहत मिलती है.
10. मुंह के छाले
फल के साथ ही अमरूद की पत्तियों का सेवन मुंह के छालों को दूर करने में कारगर होता है.
11. फूड आइट्म्‍स
अमरूद का रायता, चटनी, अचार और शेक खाने का स्‍वाद बढ़ा देते हैं.
12. कोलेस्‍ट्रॉल
अमरूद मेटाबॉलिज्‍म को सही रखता है जिससे शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर नियंत्रित रहता है.
13. विटामिन सी
कच्‍चे अमरूद में पके अमरूद की अपेक्षा विटामिन सी अधिक पाया जाता है. इसलिए कच्‍चा अमरूद खाना ज्‍यादा फायदेमंद होता है.
14. डायबिटिज
अमरूद में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिए यह डायबिटिज के मरीजों के लिए बहुत अच्‍छा होता है.

Monday, 5 December 2016

त्रिकुटा/त्रिकटु चूर्ण ठण्ड के मौसम में होने वाले इन 18 रोगों के लिए अचूक रामबाण औषिधि है, जरूर अपनाएँ और शेयर करे


➡ त्रिकटु/त्रिकुटा चूर्ण :
पीपल, मिर्च और सोंठ के चूर्ण को त्रिकुटा/त्रिकटु कहते है। त्रिकटु या त्रिकुटा के तीनो ही घटक आम पाचक हैं अर्थात यह आम दोष का पाचन कर शरीर में इसकी विषैली मात्रा को कम करते हैं। आमदोष, पाचन की कमजोरी के कारण शरीर में बिना पचे खाने की सडन से बनने वाले विशले तत्व है। आम दोष अनेकों रोगों का कारण है। इसे धारण दवा मत समझियेगा, यह बड़े काम का चूर्ण है। विशेषकर सर्दी में यह आपको चमत्कारी परिणाम देगा इसलिए एक बार जरूर आजमाएँ और ऊर्जा से ओत प्रोत निरोगी हो जाएँ।

➡ इसे बनाने का तरीका :
 सोन्ठ अथवा सुन्ठी अथवा सूखी हुयी अदरख, काली मिर्च, छोटी पीपल। इस तीनों को बराबर बराबर मात्रा में लेकर कूट पीसकर अथवा मिक्सी में डालकर महीन चूर्ण बना लें| ऐसा बना हुआ चूर्ण "त्रिकटु चूर्ण" या त्रिकुटा के नाम से जाना जाता है।
यह चूर्ण अपच, गैस बनना, पेट की आंव, कोलायटिस, बवासीर, खान्सी, कफ का बनना, सायनोसाइटिस, दमा, प्रमेह तथा बहुत सी बीमारियों में लाभ पहुंचाता है। शुण्ठी पाचन और श्वास अंगों पर विशेष प्रभाव दिखाता है। इसमें दर्द निवारक गुण हैं। यह स्वाद में कटु और विपाक में मधुर है। यह स्वभाव से गर्म है।
पिप्पली, उत्तेजक, वातहर, विरेचक है तथा खांसी, स्वर बैठना, दमा, अपच, में पक्षाघात आदि में उपयोगी है। यह तासीर में गर्म है। पिप्पली पाउडर शहद के साथ खांसी, अस्थमा, स्वर बैठना, हिचकी और अनिद्रा के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक है।
मरिच या मरिचा, काली मिर्च को कहते हैं। इसके अन्य नाम ब्लैक पेपर, गोल मिर्च आदि हैं। यह एक पौधे से प्राप्त बिना पके फल हैं। यह स्वाद में कटु, गुण में गर्म और कटु विपाक है। इसका मुख्य प्रभाव पाचक, श्वशन और परिसंचरण अंगों पर होता है। यह वातहर, ज्वरनाशक, कृमिहर, और एंटी-पिरियोडिक हैं। यह बुखार आने के क्रम को रोकता है। इसलिए इसे निश्चित अंतराल पर आने वाले बुखार के लिए प्रयोग किया जाता है।
अदरक का सूखा रूप सोंठ या शुंठी कहलाता है। एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं। यह खुशबूदार, उत्तेजक, भूख बढ़ाने वाला और टॉनिक है। सोंठ का प्रयोग उलटी, मिचली को दूर करता है।


➡ त्रिकटु/त्रिकुटा चूर्ण के 18 अद्भुत फायदे :
इसे सेन्धा नमक के साथ मिलाकर खाने से वमन, जी मिचलाना , भूख का न लगना आदि मे लाभकारी है।
अर्जुन की छाल के साथ बनाया गया इसका काढा हृदय रोगों में लाभ पहुंचाता है।
खांसी, कफ, वायु, शूल नाशक, व अग्निदीपक। मात्रा 1/2 से 1 ग्राम प्रातः-सायंकाल शहद से।
त्रिकटु १/२ चमच्च नित्य गुनगुने पानी से प्रयोग जोड़ों के दर्द में राहत देता है।
त्रिकटु , हल्दी , त्रिफला , वायविडंग , और मंडूर को बराबर की मात्रा में मिलाकर , इसे घी और शहद के साथ लेने से पीलिया ठीक होता है
सायनस में अगर कफ जम जाता हो तो त्रिकटु और रीठा पानी में मिला कर नाक में डालने से सारा जमा हुआ कफ बाहर निकल आता है.
त्रिकुटा करंज और सेंधा नमक घी और शहद के साथ बच्चों को देने से सुखा रोग में लाभ होता है.
त्रिकुटा, जवाक्षार, और सेंधा नमक छाछ के साथ लेने से जलोदर ठीक होता है।
टॉन्सिल्स में सुजन के लिए त्रिकुटा और अविपत्तिकर चूर्ण को सामान मात्रा में ले कर , इसका एक चम्मच गुनगुने पानी से ले।
त्रिकुटा, त्रिफला तथा मुस्तक जड़, कटुकी प्रकन्द, निम्ब छाल, पटोल पत्र, वासा पुष्प व किरात तिक्त के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) और गुडूची को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की बराबर मात्रा लेकर काढ़ा बना लें। इसे दिन में 3 बार लेने से आभिन्यास बुखार ठीक हो जाता है।
त्रिकुटा (सोंठ, मिर्च और पीपल), त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला), पटोल के पत्तें, नीम की छाल, कुटकी, चिरायता, इन्द्रजौ, पाढ़ल और गिलोय आदि को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसका सेवन सुबह तथा शाम में करने से सन्निपात बुखार ठीक हो जाता है।
त्रिकुटा के बारीक चूर्ण में शहद मिलाकर चाटने से खांसीठीक हो जाती है।
कब्ज में त्रिकुटा (सोंठ, काली मिर्च और छोटी पीपल) 30 ग्राम, त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) 30 ग्राम, पांचों प्रकार के नमक 50 ग्राम, अनारदाना 10 ग्राम तथा बड़ी हरड़ 10 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 6 ग्राम रात को ठंडे पानी के साथ लेने से कब्जकी शिकायत दूर हो जाती है।
त्रिकुट, त्रिफला, सुहागे की खील, शुद्ध गन्धक, मुलहठी, करंज के बीज, हल्दी और शुद्ध जमालगोटा को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पिसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद भांगरेके रस में मिलाकर 3 दिनों तक रख दें। इसे बीच-बीच में घोटते रहे। फिर इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें और इसे छाया में सुखा लें। इसमें से 1-1 गोली खाना-खाने के बाद सेवन करने से यकृत के रोग में लाभ मिलता है।
त्रिकुटा, जवाखार और सेंधानमक को छाछ (मट्ठा) में मिलाकर पीने से जलोदर रोग ठीक हो जाता है।
त्रिकुटा, चीता, अजवायन, हाऊबेर, सेंधानमक और कालीमिर्च को पीसकर चूर्ण मिला लें। इसे छाछ (मट्ठे) के साथ सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
त्रिकुटा, चिरायता, बांसा, नीम की छाल, गिलोय और कुटकी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। फिर इसे छानकर इसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पीलिया कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
त्रिकुटा, बड़ी करंज, सेंधानमक, पाढ़ और पहाड़ी करंज को पीसकर इसमें शहद और घी मिलाकर बच्चों को सेवन कराने से `सूखा रोग´ (रिकेट्स) ठीक हो जाता है।

➡ त्रिकटु चूर्ण के सेवन में सावधानियाँ :
यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है Bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। त्रिकटु का सेवन गर्भावस्था में न

Tuesday, 29 November 2016

ठण्ड के दिनों में कैसर का सेवन किसी संजीवनी से कम नही, इसके ये 17 चमत्कारी फायदे रोगों के लिए है

➡ कैसर (Saffron)

केसर एक सुगंध देने वाला पौधा। पतली बाली सरीखा केसर 15-25 सेंटीमीटर ऊंचा होता है। इसके पुष्प को हिन्दी में केसर, उर्दू में जाफरान और अंग्रेजी में सैफरॉन कहते हैं। चिकित्सा में यह उष्णवीर्य, उत्तेजक, पाचक, वात-कफ नाशक मानी गयी है।
केसर स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। केसर की खुशबू बहुत तेज होती है। केसर को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में डालकर खाया जाता है। भारत में केसर कश्मीर में पैदा होता है। गर्म पानी में डालने पर केसर से गहरा पीला रंग बनाया जाता है। पेट संबंधित परेशानियों के इलाज के लिए केसर बहुत फायदेमंद है। चोट लगने या झुलसने पर भी केसर का लेप लगाने से फायदा होता है। आइए हम आपको केसर के गुणों की जानकारी देते हैं।


➡ कैसर के 17 चमत्कारी फायदे :

1. पेट संबंधित बीमारियों के इलाज में केसर बहुत फायदेमंद है। बदहजमी, पेट-दर्द व पेट में मरोड़ आदि हाजमे से संबंधित शिकायतों में केसर का सेवन करने से फायदा होता है।
2. महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को दूर करने के लिए 2-2 रत्ती केसर दूध में घोलकर दिन में तीन बार देना फायदेमंद होता है। 
3.बच्चों को सर्दी, जुकाम, बुखार होने पर केसर की एक पंखु़डी पानी में घोंटकर इसका लेप छाती, पीठ और गले पर लगाने से आराम होता है। 
4. चंदन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से सिर, आंख और मस्तिष्क को शीतलता, शांति और ऊर्जा मिलती है।
5. चन्दन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से सिर, आंखों और दिमाग को शीतलता मिलती है। इस लेप को लगाने से दिमाग तेज होता है।
6. सिर दर्द को दूर करने के लिए केसर का उपयोग किया जा सकता है। सिर दर्द होने पर चंदन और केसर को मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द में राहत मिलती है।
7. नाक से खून बहने की समस्या के उपचार के लिए भी केसर बहुत फायदेमंद है। नकसीर होने पर चंदन के साथ केसर को मिलाकर लेप लगाइए, नाक से खून बहना बंद हो जाएगा।
इससे नाक से रक्त का गिरना बंद हो जाता है और सिर दर्द जल्द दूर होता है। 
8. बच्चे को सर्दी हो तो केसर की 1-2 पंखु़डी 2-4 बूंद दूध के साथ अच्छी तरह घोंटें ताकि केसर दूध में घुल जाए। इसे एक चम्मच दूध में मिलाकर बच्चे को सुबह-शाम पिलाएं। इससे उसे काफी लाभ होगा। माथे, नाक, छाती व पीठ पर लगाने के लिए केसर, जायफल व लौंग का लेप पानी में बनाएं और रात को सोते समय इसका लेप करें।
9. बच्चें को अगर सर्दी और जुकाम की समस्या हो तो केसर का दूध सुबह-शाम पिलाने से बच्चे की सर्दी और जुकाम में राहत मिलेगी।
10. बच्चें की सर्दी अगर समाप्त न हो रही हो तो बच्चे की नाक, माथे, छाती और पीठ पर केसर, जायफल और लौंग का लेप लगाने से फायदा होता है। 
11. शिशुओं को अगर सर्दी जकड़ ले और नाक बंद हो जाये तो मां के दूध में केसर मिलाकर उसके माथे और नाक पर मला जाये तो सर्दी का प्रकोप कम होता है और उसे आराम मिलता है।आधा ग्राम केसर को घी में पीसकर खाने से 1 साल पुरानी कब्ज़ दूर होती है।120 मिलीग्राम केसर को 50 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात को भिगो दें। सुबह 20-25 किशमिश खाकर इस पानी को पीएं। इसका सेवन 15 दिनों तक करने से हृदय की कमजोरी दूर होती है।
12. अतिसार में भी केसर बहुत फायदेमंद है। अतिसार होने पर केसर को जायफल, आम की गुठली, सोंठ को पत्थर पर पानी के साथ घिसकर इसका लेप लगाने से फायदा होता है।
महिलाओं के लिए केसर बहुत फायदेमंद होता है। महिलाओं की कई शिकायतें जैसे - मासिक चक्र में अनियमिता, गर्भाशय की सूजन, मासिक चक्र के समय दर्द होने जैसी समस्याओं में केसर का सेवन करने से आराम मिलता है। 
13. गंजे लोगों के लिये तो यह संजीवनी बूटी की तरह कारगर है। जिनके बाल बीच से उड़ जाते हैं, उन्हें थोड़ी सी मुलहठी को दूध में पीस लेना चाहिए। तत्पश्चात् उसमें चुटकी भर केसर डाल कर उसका पेस्ट बनाकर सोते समय सिर में लगाने से गंजेपन की समस्या दूर होती है। रूसी की समस्या हो या फिर बाल झड़ रहे हो तो भी ये उपाय बेहद कारगर है।
यह एक कामशक्ति बढ़ाने वाला रसायन है। अत: इसका उपयोग बाजीकरण के लिए भी किया जाता है। केसर, वच और पीपलामूल 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 5 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से हिस्टीरिया रोग ठीक होता है।  हिस्टीरिया जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में केसर का सेवन फायदेमंद होता है।
14. त्वचा के झुलसने या चोट लगने पर केसर के लेप लगाना चाहिए। इससे तुरंत फायदा होता है और नई त्वचा का निर्माण जल्द होता है। 
15. त्वचा का रंग उज्ज्वल करने वाली, रक्तशोधक, धातु पौष्टिक, प्रदर और निम्न रक्तचाप को ठीक करने वाली, कफ नाशक, मन को प्रसन्न करने वाली रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है।
16. अगर सर्दी लग गई हो तो रात्रि में एक गिलास दूध में एक चुटकी केसर और एक चम्मच शहद डालकर यदि मरीज को पिलाया जाए तो उसे अच्छी नींद आती है।
17. केसर को दूध के साथ पीने से शारीरिक शक्ति बढती है। केसर दूध पौरूष व कांतिवर्धक होता है। ज़ाडे में गर्म व गर्मी में ठंडे दूध के साथ केसर का उपयोग स्वास्थ्यवर्धक होता है।
18. गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन करने से होने वाला बच्चा तंदुरूस्त होता है और कई तरह की बीमारियों से बचा रहता है।
19. आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार नियमित रूप से, अल्प मात्रा में ग्रहण करने पर यह त्रि-दोषों (वात, पित्त व कफ) से निजात दिलाता है।इसका स्वभाव गर्म होता है। अत: औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती।
20. यह उत्तेजक, वाजीकारक, यौनशक्ति वर्धक, त्रिदोष नाशक, वातशूल शमन करने वाली है। इतना ही नहीं, यह मासिक धर्म ठीक करने वाली, त्वचा को निखारने वाली, रक्तशोधक, प्रदर और निम्न रक्तचाप को ठीक करने वाली भी है। कफ का नाश करने, मन को प्रसन्न रखने, मस्तिष्क को बल देने वाली, हृदय और रक्त के लिए हितकारी भी है।

Thursday, 1 September 2016

आम की पत्तियाँ इन 10 गंभीर रोगों की औषिधि है, जाने इसके बारे में और शेयर करेगर्मियों में सबसे ज्यादा मिलने वाला और खाया जाने वाला फल आम, स्वाद में बेहद स्वादिष्ट होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आम की पत्तियां भी कोई कम गुणकारी नहीं होतीं। आम की पत्तियों में थेराप्यूटिक और अन्य मेडिकल प्रॉपर्टी होती हैं। इसके अलावा इसमें अच्छी खासी मात्रा में विटामिन सी, बी और ए भी पाया जाता है। जब आप की पत्तियां ताजी, छोटी और लाल तथा बैंगनी रंग लिये हुए होती हैं, तभी उन्हें तोड़ कर प्रयोग किया जा सकता है। बड़ी और पुरानी होने पर यह अपना असर नहीं दिखा पाती। आम की पत्तियां एक ऐसा खज़ाना हैं, जो आपको फ्री में ही मिल जाएगा इसलिये इसे अच्छी ढंग से प्रयोग करें। आम की पत्तियां साल भर मौजूद रहती हैं इसलिये आपको बीमारी दूर करने के लिये किसी खास मौसम का इंतजार करने की जरुरत नहीं है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टी होने के नाते यह लगभग हर बीमारी का खात्मा कर सकती है।


गर्मियों में सबसे ज्यादा मिलने वाला और खाया जाने वाला फल आम, स्वाद में बेहद स्वादिष्ट होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आम की पत्तियां भी कोई कम गुणकारी नहीं होतीं।
आम की पत्तियों में थेराप्यूटिक और अन्य मेडिकल प्रॉपर्टी होती हैं। इसके अलावा इसमें अच्छी खासी मात्रा में विटामिन सी, बी और ए भी पाया जाता है।
जब आप की पत्तियां ताजी, छोटी और लाल तथा बैंगनी रंग लिये हुए होती हैं, तभी उन्हें तोड़ कर प्रयोग किया जा सकता है। बड़ी और पुरानी होने पर यह अपना असर नहीं दिखा पाती।
आम की पत्तियां एक ऐसा खज़ाना हैं, जो आपको फ्री में ही मिल जाएगा इसलिये इसे अच्छी ढंग से प्रयोग करें। आम की पत्तियां साल भर मौजूद रहती हैं इसलिये आपको बीमारी दूर करने के लिये किसी खास मौसम का इंतजार करने की जरुरत नहीं है।
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टी होने के नाते यह लगभग हर बीमारी का खात्मा कर सकती है।

1. मधुमेह से बचाए : 

आम की नाजुक और ताजा पत्तियों की मदद से आप मधुमेह को भी कंट्रोल कर सकते हैं। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल कर के आपके हेल्थ को ठीक रखती है। इसमें मौजूद हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव से ब्लड शुगर लो हो जाता है।

2. दमा से बचाए : 

यह सांस की बीमारी को भी कंट्रोल करती है। यह चाइनीज़ मेडिसिन में काफी ज्यादा प्रयोग की जाती हैं। आप आम की पत्तियों को पानी में उबाल कर बनाया गया काढा पियें। इसमें थोड़ी सी शहद भी मिक्स कर सकते हैं।

3. ब्लड़ प्रेशर लो करने में मददगार :

इसमें हाइपोटेंसिव प्रॉपर्टी होती है जिसके चलते यह ब्लड प्रेशर को लो करने में सहायक होती है। यह खून की नाडियों को मजबूती देती है और खून के थक्कों को जमने से रोकती भी है।

4. गॉल ब्लैडर और किडनी स्टोन से बचाए : 

रोजाना आम की पत्तियों के पावडर से बना घोल पीने से किडनी के स्टोन दूर करने में मदद मिलती है। आम की पत्तियों को छाया में सुखा कर पावडर बनाना चाहिये।

5. पेचिश का इलाज : 

यह खून आने वाली पेचिश का भी इलाज करती है। आम की पत्तियों को सुखा कर पावडर बनाएं और फिर इसे दिन में दो बार पानी के साथ खाएं। इससे आराम मिलेगा।

6. कानों का दर्द दूर भगाए : 

आम की पत्तियों का जूस निकाल कर कानों में डालिये, इससे दर्द बंद हो जाएगा। जूस को प्रयोग करने से पहले हल्का गरम करना ना भूलें।

7. हिचकी और गले की समस्या से राहत : 

 अगर आपको हिचकी आ रही है या गले में कोई परेशानी है तो थोड़ी सी मुलायम आम की पत्तियों को जला लें और फिर उसका धुंआ सांस के दृारा अंदर खींचे।

8. पेट के लिये रामबाण : 

थोड़ी सी आम की पत्तियों को गरम पानी में डालें, बर्तन को ढंक दें और रातभर के लिये इसे ऐसे ही छोड़ दें। दूसरे दिन पानी को छान कर खाली पेट पी जाएं। इसे नियमित पीने से पेट की सारी गंदगी बाहर निकल जाती है और पेट का कोई रोग नहीं होता ।

👉आम की पत्तियों का कैसे करें प्रयोग : 

 आप चाहें तो छोटी, नाजुक पत्तियों को तोड़ कर मुंह में डाल कर चबा भी सकते हैं। अगर इसका पेय बनाना हो तो पत्तियों को तोड़ कर हल्के गुनगुने पानी में डाल कर बर्तन को ढंक दें और सुबह पानी छान कर पी जाएं। अगर इसका पावडर बनाना हो, तो नाजुक पत्तियों को तोड़ कर धो कर छाया में सुखा लें और फिर सूखने के बाद इसका पावडर बना कर सेवन करें।

गुलाब जल के 12 बेहतरीन फायदे जान दंग रह जाएंगे आप, जरूर पढ़ेगुलाब का नाम सुनते ही हमें हमारे आसपास एक सुगंधित वातावरण का एहसास होने लगता है। गुलाब जल ताजे ताजे गुलाब फूलों की पत्तियों (पंखुङियों) से निकाला हुआ प्राकृतिक रस है। गुलाब जल हमारे शरीर को अत्यंत शीतलता प्रदान करने वाला एक प्राकृतिक उपाय है।

गुलाब का नाम सुनते ही हमें हमारे आसपास एक सुगंधित वातावरण का एहसास होने लगता है। गुलाब जल ताजे ताजे गुलाब फूलों की पत्तियों (पंखुङियों) से निकाला हुआ प्राकृतिक रस है। गुलाब जल हमारे शरीर को अत्यंत शीतलता प्रदान करने वाला एक प्राकृतिक उपाय है।

यूँ तो बाजार में गुलाब जल बङी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। परंतु यह गुलाब जल आप प्राकृतिक तरीके से बङी आसानी से अपने घर पर भी बना सकते हैं। 8 से 10 ताजे गुलाब की पंखुङियों को करीबन 15 से 20 मिनट तक पानी में उबालें। उसके बाद उसे यूँ ही 5 से 6 घंटे तक रहने दें। ठंङा होने पर छान लें। आप इस गुलाब जल को बोतल में भरकर फ्रिज में भी रख सकते हैं। तथा इसे लंबे समय तक इस्तेमाल भी कर सकते हैं।


➡ गुलाब जल के बहुत सारे स्वास्थ्यवर्धक गुण हैं। आइये हम उन गुणों की ओर एक नजर डालें :

1. झुर्रियाँ करता है कम – 


यह एक प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधन है। इसका नियमित रूप से इस्तेमाल करने पर त्वचा-संबंधित सारी समस्याएँ दूर हो जाती हैं। चेहरे पर आई हुई झुर्रियाँ भी कम होने लगती हैं। गुलाबजल की सहायता से हम एक बहुत ही बेहतरीन फेस पैक बना सकते हैं।
2 चम्मच नींबू का रस
4 चम्मच चंदन पावङर या मुलतानी मिट्टी
2 से 3 चम्मच गुलाबजल
इन चीजों को मिक्स करके अपने चेहरे पर लगाएं। तथा 15 मिनट बाद चेहरा साफ पानी से धोलें। चेहरे का रंग निखरने लगता है तथा चेहरा तरो-ताजा लगने लगता है।

2. स्किन टैन होने से बचाता है – 

गुलाबजल को इस्तेमाल में लाने से सनबर्न (स्किन टैनिंग) की समस्या भी दूर होने लगती है। यदि आप तेज धूप में बाहर जाने से पहले अपने शरीर पर थोङा सा गुलाबजल लगाते हैं तो ठंङक का एहसास होने लगता है तथा तेज धूप का आपके शरीर पर असर नहीं होता।

3. तेज धूप के कारण होने वाले सिरदर्द से राहत दिलाता है – 

यदि आप को तेज धूप में बाहर जाने-आने से सिरदर्द होता है तो एकदम ठंङे गुलाब जल में भीगा हुआ कपङा या रूमाल सिर पर 30 मिनट तक रखने से सिरदर्द गायब हो जाता है तथा एक शीतलता से भरी राहत मिलने लगती हैं।

4. आंखो के नीचे काले-धब्बों से दिलाए छुटकारा –

कई बार आंखों (eyes) के नीचे काले दाग धब्बे (dark cricles) हो जाते हैं। यदि हम रूई को गुलाबजल में ङुबोकर 10 मिनट तक अपनी आंखों पर रखें तो यह दाग दूर होने लगते हैं।

5. आंखो की थकान करता है कम –

यदि आपको आँखों में थकान महसूस हो रही है या आंखों में जलन होती है तो गुलाबजल मे भीगे हुई रूई के टुकङों को लगभग 15 मिनट तक आंखों पर रखकर ठंङे पानी से अपनी आंखें धो लीजिए। तुरंत आराम मिलने लगता हैं।

6. अच्छी नींद – 

 यदि आप रात को सोने से पहले गुलाबजल की कुछ बुंदे आखों में ङालें तो आपको आराम मिलता है, तथा नींद भी अच्छी आती है। आंखों की रोशनी बढती है तथा आँखों में चमक आने लगती हैं।

7. कील-मुहांसों से छुटकारा –

इसके नियमित इस्तेमाल से आप चेहरे पर आए हुए मुंहासों से छुटकारा पा सकते हैं। यह हमारी त्वचा से धूल-मिट्टी के कण हटाता है तथा त्वचा का सौंदर्य निखरने में अहम भूमिका निभाता है।

8. एंटी-सेप्टिक – 

हमारे शरीर पर अक्सर घाव होने की वजह से हमें जलन होने लगती हैं। जली हुई त्वचा पर अक्सर ठंङा ठंङा गुलाबजल लगाने से जलन में काफी आराम मिलता हे। गुलाब जल एक प्राकृतिक कीटाणु-नाशक होने की वजह से हमारे घाव जल्दी भरने में आसानी मिलती हैं।

9. मुलायम बालों के लिए –

यदि आप रात को सोने से पहले अपने सिर पर 5 से 6 चम्मच गुलाबजल लेकर मालिश करें तथा सुबह बालों में शैम्पू लगातर धोंले तो बालों में रूसी कम होने लगती हैं। गुलाबजल बालों के लिए एक बहुत ही अच्छा कंङीशनर है, यह बालों को मुलायम बनाकर उनमें चमक लाता हैं।

10. कान-दर्द –

गुलाबजल में कई प्रकार के औषधीय गुण भी पाये जाते हैं। कान में दर्द होने पर थोङी गुलाब जल की बूंदें कान में ङालने से काफी राहत मिलती हैं।

11. दाढ़ का दर्द – 

गुलाब जल में थोङा सा नींबू का रस मिलाकर दाढ पर लगाने से दाढ का दर्द ठीक होने में मदद मिलती हैं।

12. मिठाई में उपयोग –

गुलाबजल का उपयोग कई प्रकार की मिठाइयों को बनाने में भी किया जाता है। अत्यंत खुशबुदार होने के कारण गुलाबजल की थोङी बूँदे यदि मिठाई में ङालें तो उसका स्वाद और भी बढ जाता हैं।

Tuesday, 30 August 2016

काजू (cashew) खाने के 10 बेहतरीन फायदे जान दंग रह जायेंगे आप, जरूर पढ़े


➡ काजू (cashew) खाने के 10 बेहतरीन फायदे :

1. हड्डियों को मजबूत रखता है – काजू में प्रोटीन (protein) बहुत अधिक मात्र में पाई जाती है , जो आप के हड्डियों को मजबूत बनये रखता है।

2. बालो के मजबूती –  काजू में कॉपर (Copper) होता है जो बालो में मजबूत बनता है।

3. मजबूत मसूड़े –  काजू खाने से मंसुड़ो के तकलीफ से दूर होती है और साथ हि साथ चमकदार बनाने में मददगार साबित होता है।

4. खुबसुरत चेहरे के लिए –  काजू को भिगो के इसे पिस कर इसका लेप तयार कर इसे आपने चेहरे पर लगाए , इससे आपके चेहरे पर निखर बरकरार रहेगी। इसके regular इस्तेमाल से त्वचा में रौनक आयेगी।

5. कैंसर के लिए कारगर – काजू में पाये जाने वाले ingredients और chemical कैंसर से लड़ने में कारगर सिद्ध होते है।

6. हृदय को स्वस्थ रखता है – रिसर्च में पाया गया है की काजू हृदय को स्वस्थ बनाये रखने में बड़ा ही अहम योगदान देता है।

7. मोटापा –  काजू खाने से आपका वज़न नियंत्रण में रहता है, परन्तु इस बात का भी धयान रखे की जरूरत से जायदा खाने से इसका उल्टा असर पर सकता है और weight gain भी हो सकता है।

8. मधुमेह  – हाल ही में रिसर्च के मुताबिक काजू के लगातार इउपयोग करने से डायबिटीज का खतरा कम होता है और अगर आपको already diabetes है तो उसको बढ़ने से रोकता है।

9. दाँत – काजू दाँतों और मसूड़ो को स्वास्थ रखता है। इसके regular इस्तेमाल से दातों को मजबूती मिलती है। इसमें उपलब्ध chemicals दातों को झड़ने से बचाते है।

10. मर्दाना ताकत –  काजू खाने से धातु पुष्ट और शुक्राणुओं की संख्या बढ़ने से वीर्य गाढा होता है। जो व्यक्ति इसका नियमित सेवन करता है उसकी सम्भोग शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।

Friday, 26 August 2016

मौसम की मार से सर्दी, खाँसी या जुकाम हो जाये तो अपनाएँ ये अचूक रामबाण उपाय




दोस्तों किसी को भी सर्दी ज़ुकाम हो जाना एक आम बात है, वैसे तो यह आम बात है लेकिन अगर सर्दी जुखाम बिगड़ जाए तो बहुत ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ जाता है ना तो आप दोस्तों के बीच उठ बैठ सकते हैं और सर्दी जुखाम की वजह से आपको कुछ भी अच्छा नहीं लगता और कई बार तो सर्दी जुखाम होने की वजह से आप को बुखार भी आ जाता है.

जुकाम का इलाज :

आज आपको सर्दी-जुकाम को घरेलू नुस्खों द्वारा ठीक करने के उपाय बता रहे हैं, वैसे सर्दी-जुकाम संक्रमण से तेजी से फैलता है इसलिए इस बीमारी से बच पाना बहुत मुश्किल है. यहां आपके लिए कुछ सर्दी जुकाम को जल्दी से ठीक करने वाले घरेलू नुस्खे दिए जा रहे हैं. मुझे पूरी उम्मीद है इससे इन घरेलू नुस्खों से आपको सर्दी जुकाम से बहुत जल्द राहत मिल जाएगी और ये पोस्ट अच्छी लगे तो दोस्तों अपने फेसबुक प्रोफाइल पर इस को जरुर शेयर करना ताकि आपके दोस्त भी इस जानकारी को पढ़ लें।
सर्दी जुकाम के कारण अगर सर भारी हो रहा है तो अजवाइन को तवे पर अच्छी तरह गर्म करके एक कपड़े में उसको रखकर पोटली जैसी बना लें अब इस पोटली को आप अपने हाथों पर मलें, और नाक से सूंघें  थोड़ी ही देर में अगर आपकी नाक भी बह रही हो तो वह भी बंद हो जाती है इसको सूंघने से आपका सर दर्द और जो सर में भारीपन बना हुआ है वह भी जल्द ठीक हो जाता है।

➡ सर्दी जुकाम के लिए आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खों :

बहुत तेज सर्दी होने के कारण यदि आप को बुखार आ गया हो या हरारत सी हो तो आप एक चम्मच अजवाइन और इससे लगभग 4 गुना गुड़ एक गिलास पानी में अच्छी तरह से उबाल लें और जब ये थोड़ा गुनगुना रह जाए तब इस काढ़े को पीकर छोड़ कर सो जाएं।

सर्दी और खांसी को ठीक करने का एक देसी घरेलू उपचार बहुत कारगार है. एक अमरुद (जामफल) को लेकर गर्म राख में दबा दें और तकरीबन से 20 या 30 मिनट तक उसमें दबा रहने दें और फिर जब वह भुन जाय तो उसको निकालकर हल्का हल्का गर्म खा लें. इससे तेज से तेज सर्दी और खांसी में भी आराम मिलता है।

अधिक तेज कफ की दिक्कत होने पर आपकी छाती में कफ जमा हो गया है तो इस से राहत पाने के लिए आप सौ ग्राम सरसो के दानों को पीसकर उसमें सौ ग्राम हल्दी हल्की आंच पर अच्छी तरह से भून लें और सुबह शाम एक चम्मच शहद के साथ लें इससे आपकी छाती का सारा बलगम निकल के बाहर हो जाता है।

और ऐसे लोग जिन लोगों को लगातार सर्दी जुकाम बना रहता है या नजला हो उन लोगों को हल्के गुनगुने गर्म पानी से ही नहाना चाहिए।

जुकाम के साथ साथ बुखार भी है तो आप इस उपाय को कर सकते हैं एक चम्मच प्याज के रस में 2 छोटे चम्मच शहद मिलाकर चाटें, और एक बात का विशेष ध्यान रखें के इसको खाने के बाद बाद बाहर हवा में ना जाएं और यदि संभव सो जाएं।

अगर गले में खराश है और आपकी नाक भी सर्दी के कारण बंद है तो इसके लिए आप एक बेहद सस्ता और सटीक आसान उपाय कर सकते हैं एक गिलास गरम पानी में दो चम्मच नमक डालकर गरारे करें, ऐसा करने से आप का गला साफ हो जाएगा और आपको इस बात को जानकर हैरानी होगी कि इस तरह का प्रयोग करने से यह आपको तमाम तरह की बीमारियों से दूर रखने में भी मदद करता है।

तेज़ सर्दी या खांसी और ज़ुकाम में आप गुड और अदरक को अच्छी तरह से गर्म करके चाटने से भी बहुत जल्द आराम मिलता है।

बहुत ज्यादा सर्दी और ज़ुकाम होने पर आप गर्म दूध में आधा छोटा चम्मच पिसी हुई हल्दी को भूनकर दूध के साथ मिलाकर पी जाए यह देसी घरेलू नुस्खा भी बहुत काम का है इसके अलावा आपको इससे खांसी में भी रहत मिलती है।

Tuesday, 23 August 2016

सिर्फ 1 चीकू आपको इन 6 अद्भुत फ़ायदों से ओत प्रोत कर देगा, चीकू खाओ जवाँ हो जाओ


चीकू एक सदाबहार पेड़ होता है जो आज के युग में लगभग पूरीदुनिया में पाया अथवा उगाया जाता है । अलग देशों में अलग अलग प्रजाति के चीकू पाये जाते हैं । भारतवर्ष जैसे विशाल देशों में चीकू की कई सारी प्रजातियाँ पायी जाती हैं । सामान्यत: एक चीकू का वजन 100 से 150 ग्राम तक होता है किंतु इनका आकार प्रजातियों के अनुसार अलग अलग हो सकता है । आकार प्रकार से आगे बात करें तो चीकू का भारतीय फलों में एक विशिष्ट स्थान है और सम्पूर्ण देश में समान रूप से और चाव के साथ खाया जाता है । इन सबके अतिरिक्त चीकू में बहुत से स्वास्थय लाभ भी छिपे हुये हैं जो हम जानेंगे इस पोस्ट में Ayurveda Natural Care के माध्यम से।

1. आँखों को सुधारे :- 

जब चीकू के स्वास्थय लाभों की बाते हो रही हों तो इस से पहले कोई और लाभ ध्यान में आ ही नही सकता । चीकू में बहुत ही उत्तम प्रकार का और प्रचुर मात्रा में विटामिन ए मिलता है । विटामिन ए आँखों के सबसे ज्यादा जरूरी तत्वों में से एक है । चीकू के इस लाभ को पाने के लिये रोज एक या दो चीकू का सेवन किया जाना चाहिये ।



2. हड्डियों को मजबूत करे :- 


चीकू में कैल्शियम, फास्फोरस और ऑयरन तत्व पाये जाते हैं और ये तीनों ही तत्व हड्डियों को मजबूत बनाने के लिये सबसे ज्यादा जरूरी हैं । चीकू में मौजूद इन तीनों तत्वों का लाभ उठाने के लिये यदि बचपन से ही चीकू का नियमित सेवन किया जाये तो बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों के कमजोर होने की शिकायत नही होगी ।

3. कब्ज से राहत :- 

पूरे चीकू फल में घुलनशील फाईबर मौजूद होता है जो पुरानी से पुरानी कब्ज में भी, नियमित सेवन किये जाने पर लाभ करता है । यदि चीकू के साथ पके पपीते का भी सेवन किया जाये और बाद में बहुत थोड़ा सा गुनगुना पानी पिया जाये तो यह प्रयोग बहुत ही उत्तम लाभ प्रदान करता है।

4. गर्भावस्था में अतयंत लाभकारी :- 

गर्भावस्था के समय जरूरी सभी जरूरी मुख्य तत्व जैसे कि कैल्शियम, ऑयरन, विटामिन बी आदि चीकू में पाये जाते हैं साथ ही इसका विशिष्ट स्वाद गर्भावस्था में होने वाली जी मिचलाने की समस्या का भी समाधान देता है । इस प्रकार ये समझा जा सकता है कि यदि गर्भावस्था में नियमित चीकू का सेवन किया जाये तो यह गर्भवती महिला और होने वाले शिशु दोनो को ही मजबूत बनाता है ।

5. ऊर्जा का स्रोत :- 

चीकू में ग्लुकोज़ के अवयव बहुत ही ज्यादा मात्रा में पाये जाते हैं जिस कारण से चीकू सेवन किये जाने पर तुरंत ही शरीर को ऊर्जा की पूर्ति करता है ।

6. भूख कम करता है :- 

चीकू का एक विशेष गुण होता है कि यह भूख लगना कम करता है । इसका यह असर चार-पाँच चीकू खाने के बाद आता है । ऐसी अवस्था में यह उन लोगों के लिये विशेष लाभकारी हो सकता है जो ज्यादा भूख लगने की वजह से ज्यादा खाते रहते हैं और इस कारण से उनका वजन बढ़ने लगता है । यदि वो भूख लगने पर 4-5चीकू का सेवन करें तो शरीर में लम्बे समय तक ऊर्जा बनी रहेगी और भूख भी नही लगेगी।

विशेष नोट :- चीकू में ग्लुकोज़ बहुत ही प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिस कारण से यह मधुमेह के रोगियों में शुगर के लेवल को बढ़ा सकता है । अतः मधुमेह के रोगियों को सलाह है कि वो चीकू का सेवन अपने चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही करे ।

हमे कब्ज क्यों होती है? यह जान जाओंगे तो फिर कभी नही होगी कब्ज, जरूर पढ़ेहमे कब्ज क्यों होती है? यह जान जाओंगे तो फिर कभी नही होगी कब्ज, जरूर पढ़े

अक्सर यह प्रश्न रोगी के मन में जरूर उठता है किंतु इसका कोई सही उत्तर उसको नही मिल पाता। Allayurvedic के माध्यम से इस पोस्ट में हम आपको बता रहे हैं कि हमें कब्ज (constipation) क्यों होता है ।

1. खान पान की गड़बड़ियों से होता है कब्ज (constipation) :  

जब कही पार्टी आदि में जाना होता है तो वहाँ अधिक चटपटा और बहुत स्वादिष्ट लगने वाला भोजन खाने को मिलता है और स्वाद के चक्कर में हम लोग अधिक खा लेते हैं । एक पुरानी कहावत है कि जितना सोया जाये उतनी अधिक नींद और जितना खाया जाये उतनी अधिक भूख महसूस होती है । खाते समय पार्टी में भोजन तो मेजबान का होता है किंतु हम भूल जाते हैं कि यह पेट तो अपना ही है । पेट का ध्यान न रखकर चटपटी, मैदा की बनी चीजें बिना भूख खाना, स्वाद में अधिक खाना, भोजन के बाद ठण्ड़े पेय और आईसक्रीम खाना और सबसे अंत में पण्ड़ाल से बाहर निकलते समय कॉफी पीना, ये सब कुछ इतना विरुद्ध-आहार हो जाता है जो कुछ ही समय में किसी को भी कब्ज (constipation) का रोगी बना सकता है । इसलिये जो भी खायें उसकी तासीर का और अपनी सेहत का जरूर ख्याल रखें।

2. शौच रोकने की आदत से होता है कब्ज (constipation) :

आयुर्वेद में शरीर के अंदर तेरह अधारणीय वेग बताये हैं अर्थात जिनका वेग आने पर उन्हें रोकना नही चाहिये । मल का वेग भी उन्ही में से एक है । जैसे ही मल का वेग आता है हमे तुरंत शौच के लिये चले जाना चाहिये । वैसे तो हम अक्सर सुबह के समय ही शौच से निबट लेते हैं किंतु कई बार दिन के समय हमें अचानक मल का वेग आने लगता है उस समय हम अपने कार्य-स्थान में व्यस्त होने के कारण अथवा कई बार दुसरों की शर्म के कारण शौच के लिये नही जाते । वेग रोकने से पेट में वायु भरने लगती है और पेट फूलने लगता है ऐसी दशा में आँतों में पड़ा मल भी सूख कर अटक जाता है और कब्ज (constipation) की समस्या को पैदा करता है ।

3. शारीरिक श्रम के अभाव से होता है कब्ज (constipation) : 

शारीरिक श्रम का पूर्ण अभाव एवं और अन्य किसी भी तरह से शरीर का वयायाम न होने के कारण से आँतों की गति बाधित होती है जिस कारण से कब्ज (constipation)होता है ।

4. विश्राम की कमी से होता है कब्ज (constipation) :

इसके विपरीत शरीर को बहुत ज्यादा श्रम की अवस्था में रखने से जैसे कि लगातार ड़बल शिफ्ट में काम करना, लम्बी यात्रायें करना आदि दशाओं में भी शरीर में वात दोष कुपित होकर कब्ज (constipation) पैदा करता है।

5. मानसिक तनाव से होता है कब्ज (constipation) : 

चिंता, अशुभ विचार, वासनामय विचारों में लिप्त रहना, निरंतर सोचते रहने से भीतरी अंगों में तनाव बना रहता है । मानसिक तनाव, निराशा (डिप्रेशन) की चिकित्सा में दी जाने वाली कुछ औषधियाँ भी कब्ज (constipation) कर सकती हैं ।

6. आँतों की दुर्बलता से होता है कब्ज (constipation) :

अक्सर रोगी शौच की समस्या दूर करने के लिये बार बार जुलाब, रेचक और दस्तावर गोलियाँ अथवा चूर्ण लेते रहते हैं। लम्बे समय तक लगातार ये सब लेते रहने से आँतें अपना स्वाभाविक कार्य करना बंद कर देती हैं । आँतों में ढीलापन, दुर्बलता, शिथिलता, खुश्की पैदा होती है । दस्तावर औषधियाँ गर्म और उत्तेजना पैदा करने वाली होती हैं जो लम्बे समय तक लागातार प्रयोग करने से कब्ज (constipation) की समस्या को और अधिक ही मजबूत करती हैं ।

7. शौच करने में शीघ्रता से होता है कब्ज (constipation) : 

अक्सर एक बार बैठते ही मल आ जाता है उसके बाद आँत में अंदर पड़े मल को निकलने में कुछ समय लगता है । कुछ लोग मल का पहला वेग आने के बाद ही शौच समाप्त कर देते हैं, जिससे अंदर पड़ा मल नही निकल पाता और अंदर ही पड़ा रहकर सड़ना शुरू कर देता है और आँत को अवरुद्ध कर देता है जिससे कब्ज (constipation) पैदा होती है ।

8. शरीर में पानी की कमी से होता है कब्ज (constipation) : 

पानी कम पीने से यह समस्या होती है । प्यास लगने पर तो सब ही पानी पीते हैं, लेकिन प्रातः शौच से पहले व भोजन से एक घण्टा पहले एवं दो घण्टा बाद पानी पीने से शरीर में पानी की कमी नही होती है। पुराने रोगी भी पानी पीने के इस नियम को अपनाकर कब्ज (constipation) से आराम पा सकते हैं।

9. मादक द्रव्यों का सेवन करने से होता है कब्ज (constipation) :

तम्बाकू, बीड़ी, चाय, अफीम, शराब आदि नशीली चीजों के सएवन से शरीर का स्नायु शिथिल हो जाता है और खाये हुये अन्न का पाचन सही से नही होता है जिससे कब्ज (constipation) हो जाता है।

10. औषधियों के दुष्प्रभाव से होता है कब्ज (constipation) :

 कुछ विशेष अंग्रेजी दवायें जैसे रक्तचाप की दवायें, हृदय रोगों की दवाओं में कैल्शियम चैनल ब्लॉकर समूह की दवायें, खाँसी की दवायें, ऑयरन की दवायें आदि भी कुछ रोगियों में कब्ज की समस्या पैदा कर देती हैं । अतः अगर इस तरह की किसी दवा के सेवन के साथ यह समस्या हो तो अपने चिकित्सक से इस बारे में जरूर परामर्श करें और ऐसा भी हो सकता है कि किसी विशेष दवा को बंद कर देने से अपने आप ही आराम हो जाये।













Monday, 22 August 2016

चाहे कैसी भी काली काँख (Underarms) क्यों ना हो, चुटकियों में हो जायेगी चेहरे सी गोरी-गोरी, जरूर अपनाएँ और शेयर करे।

Underarms को हिंदी में कांख कहते है । underarms का काला पड़ जाना कोई बड़ी समस्या नहीं है । आमतौर पर महिलाएं इस समस्या से ज्यादा परेशान रहतीं है क्योंकि गर्मी के मौसम में अगर उन्हें बिना आस्तीन वाले कपड़े पहेनने हों तो उन्हें उनके काले underarms दिखने का चिंता रहती है। काले underarms दिखने पर काफी शर्मिंदगी महसूस होती है । underarms के काले होने की कई वजह हो सकते है।

➡ कांख काले होने के कारण / Reason Behind Dark Underarms : 

1. अगर देखा जाये तो 5 महत्वपूर्ण कारण हैं Dark underarm  के  जो की नीचे दिए हुए हैं। ज्यादातर मामलों में Underarm की साफ सफाई न होने के कारण black color के हो जाते हैं।

2.ज्यादा पसीना की वजह से underarms धीरे धीरे काला होने लगता है।

3. underarms पर ज्यादा रेजर चलाने से भी underarms काला दिखने लगता है ।

4. underarms के बालों को हटाने वाले hair removal cream का ज्यादा इस्तेमाल करने से भी underarms dark हो जाते है ।

5. underarms में ज्यादा cosmetic product लगाने से भी underarms काला हो जाता है ।

6. डियोडरेंट का ज्यादा इस्तेमाल करना भी dark underarms का एक कारण हो सकता है।

➡ Dark Underarms होने के लक्षण :

1. इसके लक्षण को पकड़ना काफी आसान हैं।अगर underarm के नीचे का रंग थोडा गहरा होने लगे तो समझ जाइए की आप इसकी चपेट में हैं नीचे दिए गए लक्षणों से आप इसका पता लगा सकते हैं ।

2. underarms में खुजली(itiching) होना ।

3. underarms से बदबू आना आदि ।

➡ Dark Underarms का इलाज (treatment)

अगर आप काले Underarm के लिए अच्छा इलाज खोज रहे हैं तो नीचे दिए गए उपायों से आप काले underarm से आप छुटकारा पा सकते हैं।


➡ काली काँख से निजात पाने के अचूक घरेलु उपाय :

1. खीरे का रस (cucumber juice) : 

अगर आपके underarms काले हो गएँ हों तो आप खीरे के रस द्वारा underarms के कालेपन को दूर कर सकते है । 3 से 4 चम्मच खीरे के रस में एक चम्मच निम्बू का रस और एक चम्मच से थोड़ा कम हल्दी का powder को मिला लें और फिर इस मिश्रण से underarms पर 5 मिनट तक मसाज करके कुछ देर बाद पानी से धो लें । regular इसका इस्तेमाल करने से आपको 10 से 15 दिनों के अन्दर underarms के कालेपन दूर होते नजर आएंगे ।

2. चंदन (sandal) का powder : 


dark underarms के लिए चन्दन भी बहुत फायदेमंद होता है। चन्दन के लकड़ी को पीस कर या फिर 2 से 3 चम्मच चन्दन के powder को rose water में मिक्स करके उससे dark underarms का ५ मिनट तक मसाज करे। लग भग आधे घंटे तक चन्दन के पेस्ट को dark underarms पर लगा रहने दें फिर पानी से धो लें । हफ्ते में ३ से ४ बार चन्दन के पेस्ट का इस्तेमाल करने से कुछ ही दिनों में underarms का कालापन दूर हो जाता है ।

3. बेसन :

बेसन से भी आप अपने underarms के काले पन को दूर कर सकते है । 2 चम्मच बेसन में २ चम्मच निम्बू का रस और थोड़ा सा दही मिला कर गाढ़ा पेस्ट तैयार कर ले और उस पेस्ट से underarms पर 5 मिनट तक मसाज करके 15 मिनट बाद पानी से धो लें। इससे कुछ दिनों में ही आपके underarms का कालापन चला हो जायेगा ।

4. आलू ( potato):

Dark underarms को ख़त्म करने के लिए आलू को भी एक अच्छा घरेलु उपचार माना जाता है । आलू को काट कर उसे अन्दर की ओर से dark underarms पर रगड़े और फिर थोड़ी देर बाद पानी से धो लें । कुछ दिनों तक regular ऐसा करते रहने से underarms का काला दिखना ख़त्म हो जायेगा।

5. शहद (honey) : 

किसी भी कारण से आपके underarms काले हो गए हों तो उसे गोरा बनाने के लिए आप शहद(honey) का इस्तेमाल कर सकते है। एक छोटे से प्लेट में थोड़ा सा लगभग 2 tsp शहद (honey) को ले कर उसमे निम्बू का रस(1 tsp) और चीनी(1/2 tsp) डाल कर अच्छे से मिक्स कर लें। फिर इसे अपने काले हुए underarms के ऊपर अच्छे से लगा कर कुछ देर तक मसाज करे और फिर उस मिश्रण को थोड़ी देर तक underarms पर ऐसे हीं लगा छोड़ दें। जब मिश्रण सूखने लगे तो underarms को पानी से धो लें। कुछ दिनों तक इसे regular underarms पर लगाने से underarms का darkness कम हो जाता है ।



Sunday, 21 August 2016

मसूर की दाल के ये 9 फायदे जान कर आप दंग रह जायेंगे, जरूर पढ़े

हम सभी जानते है की मसूर के दाल का उपयोग पुरे India में किया जाता है, पर इसके फायदे के बारे में कम ही जानकारी है | जानते है health benefits और कैसे face के लिए फायदेमंद है | मसूर भारत में पाए जाने वाला एक प्रकार का दलहन है, जिसका इस्तेमाल हम अपने भोजन में दाल के रूप में करते है | मसूर खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही इसमे पोष्टिक तत्व पाए जाते है | मसूर की खेती भारत के अलावा अन्य कई देशो में की जाती है, जिसमे भारत का मसूर उत्पादन में पहला स्थान है | इसकी खेती मुख्यतः उष्ण एवं शीतोष्णकटिबंधिये इलाको के शीत जलवायु वाले क्षेत्रो में अत्यधिक होती है | मसूर के पौधे मध्यम वर्ग के पोधो होते है जिसकी लम्बाई 25 से 70 cm तक होते है | जब पौधो में फूल लगते है तब पौधे काफी आकर्षित दीखते है, इसके फूल सफ़ेद, बैगनी और गुलाबी रंग के होते है|

➡ मसूर में पाए जाने वाले पोषक तत्व / List of Nutrients available in Split Red Lentil :

    मसूर दाल में स्वाद के साथ कई प्रकार के पोष्टिक तत्व पाए जाते है, जो मानव शरीर में पाए जाने वाले तत्व को संतुलित बनाए रखता है और स्वस्थ रखता है | मसूर में पाए जाने वाले तत्व निन्मलिखित है

    1. Calcium
    2. Phosphorus
    3. Iron
    4. Sodium
    5. Potassium
    6. Magnises
    7. Sulfur
    8. Clorian
    9. Iodian
    10. Aluminium
    11. Copper
    12. Zinc
    13. Protein
    14. Carbohydrate
    15. Vitamin D
    ➡ मसुर दाल खाने के फायदे / Health Benefits of Masoor Dal :


    1. पाचन क्रिया – अपने आहार के अगर आप मसूर दाल का भी नियमित रूप से सेवन करते है तो आपकी पाचन क्रिया मजबूत होगी है, और साथ ही साथ यह मानव शरीर के पेट में होने वाली कई तरह के समस्याओ को दूर करती है |
    2. दाँतों के लिए अच्छा – अगर आप दांत संबंधित बीमारी से परेशान है, और कई प्रकार के इलाज के बाद भी ये ठीक नहीं हो रहा है तो मुट्ठी भर मसूर दाल ले और इसे अच्छे तरह से जलाकर रख तैयार कर ले, और अब आप इसे रोजाना अपने दातो पर हलके हाथों से मसाज करे | ऐसा करने से दांत संबंधित बीमारी से जल्द छुटकारा पाएँगे| 
    3. Face pack – मसूर दाल सिर्फ हमारे भोजन को पोष्टिक नहीं बनाता है,  बल्कि इसके अलावे भी ये हमारे सौन्दर्य को निखारने में भी मदद करता है | मसूर के आटे में देशी घी को अच्छे तरह से मिलाकर लगातार एक सप्ताह तक अपने चेहरे पर face pack के तरह लगाए, और 15 minute बाद इसे धो ले, ऐसा करने से आपके चेहरे पर दिखने वाले झाइयाँ ख़त्म हो जाती है |
    4. गले के लिए फायदेमंद – कई बार ऐसा होता है की कुछ चटपटा खाने के चाकर में हम अपने गले का ध्यान नहीं रख पाते है और हमारे गले में दर्द हो जाता है, ऐसे में मसूर के पत्ते का कड़ा बनाकर गरारा करने से गला संबंधित बीमारी ख़त्म हो जाता है |
    5. पेट के लिए अच्छा – मसूर के पत्ते का सूप भी मानव शरीर के लिए लाभदायक होता है | इसके सूप का सेवन करने से पेट संबंधित विकार नष्ट होते है |
    6. घाव को जल्दी भरे – मसूर दाल शरीर में होने वाले घाव के लिए काफी फायदेमंद है | अगर आपका घाव जल्द ठीक
      नहीं हो रहा है तो आप मसूर के भस्म को भैस के दूध में मिलकर pest बना ले और इसे घाव पर लगाए, ये आपके घाव को जल्द ठीक कर देगा |
    7. खून की कमी को पूरा करे – अगर आप मसूर के दाल का नियमित तौर पर सेवन करते है तो आपके शरीर में खून की कमी नहीं होगी, और साथ ही ये मानव शरीर के कमजोरी को भी भगाता है |
    8. त्वचा के लिए अच्छा – गर्मियों में पड़ने वाले धुप से skin जलने लगता है जिससे परेशान होकर लोग घर से निकलना नहीं चाहते है, ऐसा में मसूर दाल को पिस के इसमे शहद और दही मिलाकर लेप बना ले और इसे त्वचा पर लगाए, ये आपके त्वचा को ठंडक प्रदान करेगा | 
    9. आखों के लिए फायदेमंद – अगर आप मसूर दाल को रोजाना देशी घी में तलकर खाते है तो इससे आपके आँख की रौशनी बनी रहती है |

    Saturday, 20 August 2016

    सिर्फ 1 पिस्ता रोजाना क्योंकि इसके 9 चमत्कारिक फ़ायदे जानकर आप दंग रह जायेंगे

     सूखे मेवों में काजू और आखरोट से सबसे अधिक पौष्टिक और ताकतवर होता है पिस्ता। पिस्ता आपकी सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। खाने में स्वादिष्टि होने के साथ-साथ इसमें वसाए प्रोटीन और फाइबर की अधिक मात्रा होती है। पिस्ता आपको कई बीमारियों बचाता भी है और कई रोगों को ठीक भी कर देता है। इसलिए वैदिक वाटिका आपको बता रही है पिस्ता खाने से मिलने वाले फायदों के बारे में।


    ➡ पिस्ता के आयुवेर्दिक फायदे :

    आंखों की सेहत के लिए : 


    उम्र बढ़ने के साथ आंखों की कमजोरी और बीमारी बढ़ने लगती है। एैसे में आप नियमित पिस्ता खाते हैं तो आपकी आंखों पर किसी भी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा। आपकी आंखे बुढ़ापे तक स्वस्थ और निरोगी रहेंगी।

    सूजन होने पर : 

    यदि आपके शरीर में सूजन रहती हो तो पिस्ता का सेवन करें। इसमें मौजूद विटामिन-ए और विटामिन-ई सूजन को घटाते हैं।

    संक्रमण का प्रभाव : 

    शरीर में संक्रमण के खतरे को रोकता है पिस्ता। और शरीर को हर तरह से संक्रमण से लड़ने में सक्षम बनाता है।

    कैंसर से बचाव : 

    जो लोग बचपन से पिस्ता खा रहे होते हैं उन्हें भविष्य में कैंसर की बीमारी नहीं लगती है। पिस्ता में बीटा कैरोटीन होता हे जो कैंसर से लड़ता है। कैसर से परेशान लोगों को पिस्ता खाना चाहिए।

    शरीर के अंदर जलन :

     शरीर के अंदर किसी भी तरह की जलन हो रही हो चाहे वह पेट की जलन या छाती की जलन। आप पिस्ता का सेवन करें।

    बनाए सुंदर चेहरा : 

    सुंदर चेहरे के लिए पिस्ता किसी प्राकृतिक औषधि से कम नहीं है। उम्र के बढ़ते प्रभाव को रोकना और झुर्रियों को चेहरे से साफ करना पिस्ता में मौजूद गुण आसानी से करते हैं। पिस्ता खाने से चेहरे की त्वचा टाइट होती है।

    तेज दिमाग : 

    काजू, बादाम से भी अधिक पौष्टिक होता है पिस्ता। पिस्ता खाने से दिमाग तेज होता है और इंसान की स्मरण शक्ति तेज होती है। इसलिए बच्चों को पिस्त जरूर खिलाएं।

    डायबिटीज : 

    पिस्ता डायबिटीज यानि कि मधुमेह को बढ़ने से रोक देता है। पिस्ता में फास्फोरस उचित मात्रा में होता है जिससे शुगर निंयत्रण में रहता है।

    ब्लड प्रेशर यानि रक्तचाप की समस्या : 


    यदि आपका रक्तचाप अचानक से बढ़ता व घटता रहता हो तो आपके लिए पिस्ता का सेवन जरूरी है। पिस्ता रक्तचाप को नियंत्रण में रखता है।

    तांबे के बर्तन में खाने के हैं अनोखे लाभ जिससे आप अभी तक है अनजान, जानिए


    आज के समय में अनियमित खानपान और अनियमित दिनचर्या के कारण हमे कई शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। इसलिए हमे अपनी सेहत पर थोड़ा ध्यान देना शुरु करते हैं। जिससे कि हमें किसी भी प्रकार की समस्या न हो।
    हम अपनी खाने में ऐसी डाइट शामिल करते है। जो कि हमारी सेहत के लिए अच्छी हो। लेकिन आप यह बात जानते है कि हम जो भी खाना बनाते है। उसे किस तरह बनाया गया है। उसमें कितना हाइजीन और अन्य तत्व है। इसके बिना आपका खाना हेल्दी नहीं होता हैं। हमारे शरीर को हर तत्व बराबर मात्रा में होना जरुरी होता है। जैसे कि कैल्शियम, आयरन और सेलेनियम, प्रोटीन आदि।
    अगर आप चाहते है कि आपके खाने में ये सभी तत्व होतो आप आज से ही तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल करना शुरु कर दें। पुराने जमाने में लोगों के हेल्दी रहने का मुख्य कारण यह भी था, क्योंकि उस समय इसका इस्तेमाल ही किया जाता हैं। लेकिन आज के समय में इनकी जगह स्टील और लोहे के बर्तनों ने ले ली है। अगर आप चाहते है कि आपकी सेहत सही रहे तो इसका इस्तेमाल करना शुरु कर दें। इसके फायदे जानकर आप हैरान रह जाएगे।


    तांबा के बर्तनों में खाने से आपका वजन कम होने के साथ-साथ रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने और बैक्टीरिया से लड़ने तक हर लिहाज से मदद करता है। जानिए इसके गुणों के बारें में।

    मोटापा घटाएं : 

    एक शोध में ये बात साबित हो चुकी है कि तांबे के बर्तन में खाना खाने से आप आसानी से अपनी वजन कम कर सकते हैं। इसमें ऐसे तत्व पाएं जाते है। जो कि मेटाबॉलिज्म को बढ़ा देता है। जिसके कारण आपका आसानी से फैट बर्न हो जाता हैं।

    बैक्टीरिया के इंफेक्शन से बचाएं : 

    इसमें भरपूर मात्रा में ऐसे तत्व पाएं जाते है। जो कि आपको फंगस, इंफेक्शन से बचाते हैं। इसके साथ ही हर मौसम में इसका सेवन करने से होने वाले संक्रमण से आप बच जाते हैं। जिससे आपको घाव या किसी भी तरह की बीमारी नहीं होती हैं।

    माइंड को करें तेज :


     अगर प्रेग्नेंसी के समय इसका खाना रखकर सेवन किया जाएं, तो होने वाले बच्चे के दिमाग में अधिक असर पडता हैं। इसके साथ ही उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही मजबूत बनती हैं। तांबे फॉस्फोलिपिड के संश्लेषण के लिए आवश्यक है जो माइलिन आवरण के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो भ्रूण के दिमाग को विकसित करने और उसकी गतिविधियों को बेहतर बनाता है।


    Friday, 19 August 2016

    खाली पेट दूध में तुलसी की पत्ती डालकर पीने के 7 अद्भुत फायदे जान चौक जाएंगे आप



    आज के समय में हल्की सी छींक भी आती है, तो हम तुरंत कोई न कोई दवा ले लेते हैं। जिससे आराम तो मिल जाता है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट भी हजारों होते है। साथ ही हम दवाओं पर ऐसे निर्भर हो जाते हैं। कि इसको बिना खाएं आपको किसी भी समस्या से निजात नहीं मिल पाता हैं।

    अगर आपको याद हो तो हमारी पूर्वज कभी भी दवाओं का इस्तेमाल नहीं करते थे, वह आयुर्वेदिक या फिर घरेलू उपायों का इस्तेमाल करते थे। जिससे बीमारियां तो दूर हो ही जाती थी, साथ में कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता था। लेकिन आज के समय में इन्हें कोई मानता नहीं हैं।

    लेकिन कुछ ऐसे घरेलू उपाए है। जो कि हमेशा से हर घर में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। वो है तुलसी का इस्तेमाल। तुलसी एक ऐसी हर्ब है। जिसके काढ़ा बनाकर सेवन करने से सिरदर्ध, सर्दी-जुकाम से तुरंत आराम मिल जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी को दूध के साथ मिलाकर पिया जाए, तो कई बीमारियों से आपको निजात मिल सकती है। साथ ही कई बीमारियों से बचाव भी हो सकता हैं। जानिए सुबह खाली पेट दूध में तुलसी मिलाकर पीने के क्या फायदे हैं। साथ ही बनाने की विधि के बारे में।


    कैंसर से बचाएं :

    तुलसी में कई एंटीबायोटिक और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के साथ दूध में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाएं होते हैं, जो कि इम्यून सिस्टम मजबूत करते हैं। जिसके कारण आप कैंसर जैसी बीमारी से बच जाएगे। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। जिसके कारण आपका शरीर हर बीमारी से बच सकता हैं।

    डिप्रेशन से दिलाएं निजात :

    आज के समय में हर कोई किसी न किसी कारण डिप्रेशन में जी रहा हैं। कई लोग तो इतने तनाव में चले जाते है कि सुसाइड तक के बारे में सोच या फिर कर लेते हैं। अगर आपको या फिर आपके आसपास किसी को ऐसी समस्या है, तो उसे दूध में तुलसी डालकर इसका सेवन कराएं। इसका सेवन करने से नर्वस सिस्टम रिलैक्स होता है। इसके साथ ही ये स्ट्रेस के हार्मोंस को कंट्रोल कर डिप्रेशन से बचाता हैं। इसके साथ ही आपके सिर में हो रहे बार-बार दर्द को भी दूर करता है।

    अस्थमा संबंधी समस्याओं से निजात :

    इसका रोजाना खाली पेट सेवन करने से आप अस्थमा जैसी समस्या से भी निजात पा सकते है। तुलसी और दूध में एंटी-बैक्टीरियल गुणों पाएं जाते है। जो कि सासं संबंधी समस्याओं से निजात दिला सकते हैं।

    किडनी के स्टोन से दिलाएं निजात :

    अगर आपकी किडनी में स्टोन हैं तो रोजाना खाली पेट इसका सेवन करें। कुछ ही दिनों में स्टोन गलकर निकल जाएगी।

    फ्लू से दिलाएं निजात :

    तुलसी में मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेंटरी तत्वों के कारण ये फ्लू जैसी बीमारी से लड़ने की क्षमता प्रदान करता हैं। जिससे आपको फ्लू कभी नहीं हो सकता हैं।

    दिल को रखे हेल्दी :

    अगर आपके घर में कोई दिल संबंधी बीमारियों से ग्रसित है, तो उसे रोजाना खाली पेट दूध और तुलसी का सेवन करें। इससे वह जल्द सही हो जाएगा।

    मलेरिया से दिलाएं निजात :

     तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटीबायोटिक गुण पाएं जाते है। जो कि किसी भी तरह के बुखार को सही कर सकता हैं। आयुर्वेद में तो बुखार से पीड़ित लोगों को तुलसी के पत्तों को काढ़ा देने की सलाह दी गई है। बुखार होने पर आधा लीटर पानी में थोड़ी सी तुलसी की पत्तियां और इलाइची पाउडर को मिलाकर उबाल लें। जब यह उबलकर आधा रह जाये तो इसमें दूध और चीनी मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे हर दो से तीन घंटे के बाद पीएं। इससे आपको जरुर फायदा मिलेगा।

    ➡ ऐसे बनाएं दूध और तुलसी का मिश्रण :

    सबसे पहले एक पैन में दूध उबाले और उसमें 4-5 पत्तियां तुलसी की डाल दें। इसके बाद इसका सेवन खाली पेट करें।

    सुहागा ( Boracic) के फ़ायदे जान कर चौंक जायेंगे आप, 66 से ज्यादा रोगों में फायदेमंद है


    ➡ सुहागा ( Boracic ) :
    नाम : कनक क्षार, सुहागाचौकी, रसघ्न, धातु द्रावक, सौभाग्य, टंकण आदि सुहागा के नाम है।
    गुण : सुहागा पेट की जलन, बलगम, वायु तथा पित्त को नष्ट करता है, और धातुओं को द्रवित करता है।

    ➡ विभिन्न बीमारियों में सुहागा :

    1.स्वरभंग : सुहागा को पीसकर चुटकी भर चूसने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है।
    2.जुकाम : तवे पर सुहागा को सेंककर पीस ले। इसे चुटकी भर 1 घूंट गर्म पानी में घोलकर रोजाना 4 बार पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
    भूना सुहागा आधा ग्राम गर्म पानी से सुबह-शाम लेने से नजला ठीक हो जाता है।
    3.पसीना : 1 चम्मच पिसा हुआ सुहागा एक बाल्टी पानी में मिलाकर नहाने से अधिक पसीना आना और शरीर से दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है।
    4.अजीर्ण : बच्चा सोते-सोते रोने लगे, दही की तरह जमे दूध की उल्टी करे, हरे रंग का अतिसार (दस्त) हो तो समझे कि बच्चे को खाया हुआ पचता नहीं है। बच्चे की पाचनशक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) ठीक करने के लिए भुना सुहागा चुटकी भर दूध में घोलकर 2 बार पिलाने से लाभ होता है।
    5.पेट फूलना, दूध उलटना : तवे पर सुहागे को सेंक कर बच्चों को चटाने से पेट फूलना और दूध पीकर वापिस निकाल देने का रोग दूर हो जाता है।
    6.फरास : 50 ग्राम सुहागे को तवे पर भूनकर पीस लें। 1 चम्मच सुहागा, 1 चम्मच नारियल का तेल और 1 चम्मच दही को मिलाकर सिर में मलने और आधे घंटे के बाद सिर को धोने से सिर की फरास समाप्त हो जाती है।
    7.तिल्ली : 30 ग्राम भुना हुआ सुहागा और 100 ग्राम राई को पीसकर मैदा की छलनी से छान लें। इसे आधा चम्मच रोजाना 7 सप्ताह तक 2 बार पानी से फंकी लें। तिल्ली सिकुड कर अपनी सामान्य अवस्था में आ जायेगी, भूख अच्छी लगेगी और शरीर में शक्ति का संचार होगा।
    8.चर्मरोग : सुहागे के तेल को चमड़ी पर लगाने से चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
    9.बाल रोग : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शुद्ध सुहागा शहद के साथ बच्चों को दिन में 2-3 बार देने से बच्चों की खांसी और सांस के रोग दूर होते हैं।
    10.अंडकोष की वृद्धि : 6 ग्राम भुने सुहागे को गुड़ में मिलाकर इसकी 3 गोलियां बनाकर 1-1 गोली 3 दिन सुबह हल्के गर्म घी के साथ सेवन करने से अंडकोष की वृद्धि रुक जाती है।
    11.कर्णरोग : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सुहागा कान में दिन में 2-3 बार डालने से कान के रोग ठीक हो जाते हैं।
    12.अंडकोष की खुजली : लगभग 116 ग्राम पानी में 4 ग्राम सुहागा को घोलकर रोजाना 2-3 बार अंडकोष धोने से खुजली मिट जाती है।
    13.आंख आना : आंख आने पर सुहागा और फिटकरी को एक साथ पानी में घोल बनाकर आंख को धोने और बीच-बीच में बूंद-बूंद (आई डरोप्स) की तरह आंखों मे डालने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
    14.दमा : लगभग 75 ग्राम भुना हुआ सुहागा 100 ग्राम शहद में मिला ले इसे सोते समय 1 चम्मच की मात्रा में लेकर चाटने से श्वास रोग (दमा) में बहुत लाभ होता है।
    लगभग 30 ग्राम पिसे हुए सुहागे को 60 ग्राम शहद में मिलाकर रख दें। कुछ दिनों तक 3 अंगुली भर चाटते रहने से श्वास रोग (दमा) खत्म हो जाता है।
    सुहागे का फूला और मुलहठी को अलग-अलग पकाकर या पीसकर कपड़े में छानकर बारीक चूर्ण बना लें और फिर इन दोनों औषधियों को बराबर मात्रा में मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख लें। आधा ग्राम से 1 ग्राम तक इस चूर्ण को दिन में 2-3 बार शहद के साथ चाटने से या गर्म पानी के साथ लेने से दमा के रोग में लाभ मिलता है। बच्चों के लिए लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा या आयु के अनुसार कुछ अधिक दें। इसका सेवन करने से श्वास (दमा), खांसी तथा जुकाम नष्ट हो जाता है। इस औषधि का सेवन करते समय दही, केला चावल तथा ठंडे पदाथों का सेवन नहीं करना चाहिए।
    15.आंखों का दर्द : भुने हुए सुहागे को पीसकर कपडे़ में छानकर सलाई से सुबह और शाम आंखों में लगाने से आराम आता है।
    16.दांतों को साफ और मजूबत बनाने के लियें : सुहागा को फुलाकर उसमें मिश्री मिलाकर बारीक पीस कर रोजाना मंजन करने से दांत साफ और मजबूत होते हैं।
    लकड़ी के कोयले में सुहागा मिलाकर बारीक पाउडर बना लें तथा बांस या नीम के दांतुन पर लगाकर मंजन करें। इससे दांत साफ और मजबूत होते हैं।
    17.काली खांसी (कुकर खांसी) : सुहागा, कलमी शोरा, फिटकरी, कालानमक और यवक्षार को पीसकर चूर्ण तैयार कर इसे तवे पर भूनकर 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर बच्चों को चटाने से कालीखांसी ठीक हो जाती है।
    तवे पर भुना हुआ सुहागा व वंशलोचन को मिलाकर शहद के साथ रोगी बच्चे को चटाने से काली खांसी दूर हो जाती है।
    18.बालों के रोग : 20 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कपूर को 50 ग्राम उबले पानी में मिलाकर हल्के गर्म पानी के साथ धोने से बाल मुलायम तथा काले हो जाते हैं।
    5 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कच्चे सुहागे को 250 ग्राम पानी में डालकर उबाल लें। इसके ठंडा होने पर बालों को धोने  सें बाल मजबूत बनते हैं।
    19.खांसी : 5-5 ग्राम भूना हुआ सुहागा और कालीमिर्च को पीसकर कंवार गंदल के रस में मिलाकर कालीमिर्च के बराबर की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। 1 या आधी गोली को मां के दूध के साथ बच्चों को देने से खांसी के रोग मे आराम आता है।
    बलगम वाली खांसी और बुखार वाली खांसी में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को सुबह-शाम शहद के साथ देने से लाभ मिलता है।
    सुहागे को तवे पर गर्म करके फुलायें फिर उसका चूर्ण बनाकर पीसे। इसमें से 1 चुटकी चूर्ण लेकर शहद के साथ चाटने से खांसी बंद हो जाती है।
    20.दांत निकलना : भुना हुआ सुहागा और शहद को मिलाकर बच्चे के मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं तथा मसूड़ों का दर्द कम होता है।
    सुहागा को शहद के साथ पीसकर बच्चों के मसूढ़ो पर मलें। इससे बच्चों के नये दांत आसानी से निकल आते हैं और दर्द में आराम मिलता है।
    लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग भुनी सुहागा को शहद में मिलाकर बच्चों के मसूडें पर मलने से दांत आसानी से निकल आते हैं।
    10 ग्राम भुना सुहागा और 10 ग्राम पिसी हुई मुलहठी लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूर्ण में शहद मिलाकर मसूड़ों पर मलें। इससे बच्चों के दांत निकलते समय दर्द नहीं होता तथा बार-बार दस्त आना बंद हो जाता है।
    21.पायरिया : सुहागा एवं बोल (हीराबोल) को मिलाकर रोजाना 2 से 3 बार मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांतों व मसूढ़ों के सभी रोग ठीक होकर पायरिया रोग दूर होता है।
    5-5 ग्राम भूना सुहागा, समुन्दर झाग 8-8 ग्राम त्रिफला पिसा, सेंधा नमक, 0.12 ग्राम सतपोदीना, सतअजवायन को पीसकर और छानकर 50 ग्राम पिसी खड़िया मिलाकर कपडे में छानकर सुबह-शाम मंजन करने से पायरिया ठीक हो जाता है।
    22.निमोनिया : 3 ग्राम सुहागा भुना और नीला थोथा भुना हुआ पीसकर अदरक के रस में बाजरे के बराबर आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं। इसमें से 1-1 गोली मां के दूध के साथ सेवन करने से निमोनिया रोग ठीक हो जाता है।
    1 चुटकी फूला सुहागा, 1 चुटकी फूली फिटकरी, 1 चम्मच तुलसी का रस, 1 चम्मच अदरक का रस, आधा चम्मच पान के पत्तों के रस को एक साथ मिलाकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से निमोनिया के रोग मे लाभ होता है।
    23.बालों का झड़ना (गंजेपन का रोग) : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम कपूर को बारीक पीसकर पानी में घोलकर बाल धोने से बालों का गिरना कम हो जाता है।
    24.जुओं का पड़ना : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम फिटकरी को 250 ग्राम पानी में मिलाकर सिर पर मालिश करने से सिर की जूएं मर जाती है।
    25.जीभ की प्रदाह और सूजन : सुहागा की टिकीया चूसते रहने से जीभ की जलन और सूजन का रोग ठीक होता है।
    26.मसूढ़ों का फोड़ा : मसूढ़ों के फोड़े में सुहागा एवं हीरा बोल को मिलाकर मसूढ़ों पर मलें। इससे मसूढ़ों का दर्द व फोड़ों से पीप का निकलना बंद होता है।
    27.मसूढ़ों की सूजन : हीरा बोल और सुहागा को मिलाकर मसूढ़ों पर पर धीरे-धीरे मलने से मसूढ़ों की सूजन मिट जाती है।
    28.मुंह के छाले : सुहागा के टुकड़े को शहद के साथ मिलाकर रोजाना 3 से 4 बार मुंह में लगायें। इससे मुंह की जलन, मुंह के दाने तथा मुंह के छाले आदि रोग खत्म होते हैं। इसका प्रयोग छोटे बच्चों के मुंह में होने वाले छालों में भी कर सकते हैं।
    शहद में सुहागा मिला कर घोल तैयार करें। इसके घोल में साफ रूई को भिगोकर मुंह के छाले पर लगाने से तथा मुंह से निकलने वाले लार को नीचे टपकाने से मुंह की गंदगी खत्म होकर छाले दूर होते हैं।
    2 ग्राम भुना सुहागा के बारीक चूर्ण को 15 ग्राम ग्लिीसरीन में मिलाकर रखें। इस मिश्रण को दिन में 2 से 4 बार मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है।
    भुना हुआ सुहागा 1 चुटकी बारीक पीसकर ग्लिसरीन या देशी घी में मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
    29.मुंह का रोग : 3 ग्राम भुना सुहागा आधा ग्राम कपूर चूरा को शहद में मिलाकर मुंह में लगाने से मुंह के सभी रोग खत्म होते हैं।
    10 ग्राम भुना सुहागा और 10 ग्राम बड़ी इलायची के दाने तथा 10 ग्राम तबासीर को मिलाकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह-शाम भोजन करने के बाद 4-4 ग्राम चूर्ण पानी के साथ खायें और इसके चूर्ण को जीभ पर छिरकने से जीभ व मुंह के छाले खत्म होते हैं।
    3 ग्राम भुना सुहागा को पीसकर शहद या ग्लिसरीन 25 ग्राम में मिला लें। रोजाना सुबह-शाम इस मिश्रण को साफ रूई से मुंह के सफेद घाव पर लगाने से मुंह के जख्म ठीक हो जाते हैं।
    3 ग्राम भुना सुहागा को पीसकर 25 ग्राम शहद या ग्लिसरीन में मिला लें। रोजाना सुबह-शाम इस मिश्रण को साफ रूई से मुंह के घाव पर लगाने से मुंह के जख्म ठीक हो जाते हैं।
    फूला सुहागा शहद में मिलाकर जीभ पर लगाने से जीभ साफ होती है तथा दाने खत्म होते हैं।
    सुहागा का लावा तैयार कर शहद में मिलाकर दिन में 3 से 4 बार छाले में लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
    30.नपुंसकता : सुहागा, कूट और मैनसिल को बराबर मिलाकर चूर्ण बनाकर चमेली के रस और तिल के तेल में पका कर लिंग पर मलने से लिंग का टेढ़ापन दूर होता है।
    31.दस्त के लिए : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को रोजाना सुबह और शाम देने से बच्चों के आने वाले दस्त बंद हो जाते हैं।
    32.मुंह की दुर्गंध : 116 ग्राम पानी में 4 ग्राम सुहागा घोलकर कुल्ला करने व गरारे करने से मुंह की दुर्गंध मिटती है तथा मुंह के अन्य रोग भी खत्म होते हैं।
    सुहागा की खील (लावा) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम में शहद मिलाकर दिन में 2 से 3 बार खाने से मुंह की दुर्गंध चली जाती है।
    33.मूत्र के साथ खून आना : 0.24 से 0.96 ग्राम सुहागे की खील को शहद मिले हुए पानी में घोंटकर सुबह-शाम पीने से पेशाब के साथ खून आना बंद हो जाता है।
    34.थूक अधिक आना : 500 मिलीलीटर पानी में 125 ग्राम सुहागा मिलाकर गरारे करने और बीच-बीच में कुल्ला करने से लार का मुंह में अधिक आना (लार श्राव) बंद हो जाता है।
    सुहागा को शहद में मिलाकर रखें। इसे जीभ और मुंह के अन्दर के छाले पर दिन में 3 से 4 बार लगायें। इससे जीभ या मुंह में हुए छाले के कारण लार का गिरना और कब्ज (पेट मे गैस) खत्म होता है।
    35.हकलाना, तुतलाना : हकलाने वाले व्यक्ति को फूला हुआ सुहागा शहद में मिलाकर जीभ पर रगड़े। इसको रगड़ने से जीभ के कारण होने वाला तोतलापन दूर होता है।
    भूना सुहागा 1 चुटकी जीभ पर रखकर हल्का-हल्का मलने से जीभ साफ होती है तथा बोली साफ निकलती है।
    36.मासिक धर्म की अनियमितता : 10 ग्राम सुहागा, 10 ग्राम हीरा कसीस, 10 ग्राम मुसब्बर तथा 10 ग्राम हींग को पानी के साथ पीसकर लगभग 0.24 ग्राम की गोली बनाकर 1 गोली सुबह और शाम अजवायन के साथ सेवन करना चाहिए। इसे कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से मासिक धर्म ठीक समय पर आने लगता है।
    37.बवासीर (अर्श) : 1 चम्मच सुहागा, 1 चम्मच हल्दी, 1 चम्मच चीता (चित्रक) की जड़, थोड़े-से इमली के पत्ते तथा 10 ग्राम गुड़ को पीसकर मलहम बना लें। इसके मलहम को बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जल्द सूख कर गिर जाते हैं।
    38.कान के कीड़े : सुहागे को सिरके में मिलाकर गर्म करके कान में डालने से कान के कीड़े खत्म हो जाते है।
    39.गुर्दे के रोग : 1-1 ग्राम सुहागा भुना, नौसादर, कलमी शोरा को पीसकर गुर्दे मे दर्द के समय आधा ग्राम की मात्रा में नींबू के रस के साथ 2-3 चम्मच लेने से आराम आता है।
    40.कान की पुरानी सूजन : ढाई प्रतिशत सुहागे के घोल को कान में बूंद-बूंद करके हर 2-3 घंटे के बाद डालने से कान की पुरानी सूजन दूर होती है।
    41.भगन्दर : 4 ग्राम सुहागा को 58 ग्राम पानी मे घोल कर पीने से गुदकण्डु (खुजली) नष्ट होती है और नासूर में लाभ होता है।
    42.घाव : सुहागे को पानी में घोलकर उसमें कपड़ा भिगोकर घाव पर बांधने से खून रुक जाता है।
    10 ग्राम सुहागे को 200 ग्राम पानी में मिलाकर घाव को धोने से घाव ठीक हो जाता है।
    43.अग्निमांद्यता (अपच) के लिए : लगभग आधा ग्राम से लगभग 1 ग्राम सुहागे का चूर्ण खाना खाने के एक घंटे बाद खाने से अपच (भोजन का ना पचना) रोग में लाभ होता है।
    44.पथरी : 5-5 ग्राम सुहागा, जौंखार तथा कलमी शोरा को मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस 1-1 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम मूली के रस या कुल्थी के जुसांदे में मिलाकर पीने से गुर्दे व मूत्राशय की पथरी घुलकर निकल जाती है।
    45.प्रदर रोग : 2.5 प्रतिशत सुहागे के घोल की पिचकारी जननेन्द्रिय में देने से सफेद प्रदर दूर हो जाता है।
    46.गिल्टी (ट्यूमर) : सुहागे की खील को गिल्टी (ट्यूमर) में लगाने से लाभ होता है।
    47.धनुष्टंकार (टिटनेस) : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागा सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से धनुष्टंकार(टिटनेस) का रोगी जल्दी ठीक हो जाता है।
    48.नाक के रोग : 3 ग्राम सुहागे को पानी के साथ पीसकर नाक के नथुनों (छेदों) में लगाने से नकसीर (नाक से खून बहना) आना रूक जाता है।
    49.स्त्रियों को द्रवित (संतुष्ट) करना : भूने हुऐ सुहागे को 5 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद या नींबू के रस में मिलाकर पुरुष अपने शिश्न (लिंग) पर सुपारी (आगे के भाग) पर लगाकर सूखने के बाद ही सहवास (संभोग) करें। इससे स्त्रियां बहुत जल्द संतुष्ट हो जाती है।
    सुहागा चौकिया, समुद्र झाग, आधा ग्राम दूध, चाय या सब्जी के साथ स्त्री को खिलाने से स्त्रियां बहुत जल्द संतुष्ट हो जाती है।
    50.चेहरे की झाई होने पर : 25 ग्राम चमेली के तेल या बादाम रोगन में 1 ग्राम पिसा हुआ भुना सुहागा मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की झाई दूर हो जाती है।
    51.फोड़ा (सिर का फोड़) : सुहागे के पानी से फोड़े और फुंसियों को धोने से फोड़े और फुंसी समाप्त हो जाते हैं।
    52.खाज-खुजली : सुहागे को तवे पर भूनकर उसका पानी शरीर पर मलने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।
    53.त्वचा के लिए : सतातू के ताजे पत्ते, सुहागे का चूर्ण और नील को मिलाकर बहुत बारीक पीसकर त्वचा पर लगाने से बहुत भयानक चमड़ी का रोग, एक्जिमा, बदबू वाला कोढ़ और दूसरे प्रकार के चमड़ी के रोग समाप्त हो जाते हैं।
    54.खुजली के लिए : सुहागा को फुलाकर नारियल के तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करनी से खुजली दूर होती है।
    55.दाद के लिए : सुहागा, गन्धक और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। यह मिश्रण 40 ग्राम की मात्रा में लेकर 5 गुने पानी में डालकर घोल तैयार करके 24 घंटे तक रख दें। 24 घंटे के बाद इसे एक दिन में 2 बार दाद पर मलने से 2 से 3 दिन में ही दाद मिट जाता है।
    सुहागा, आमलासार गन्धक और राल को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें तथा इन तीनों के बराबर इसमें घी डालकर हल्की आग पर पका लें। जब यह पकते हुयें ठीक प्रकार से मिल कर एक हो जायें तो इसे उतार कर एक बर्तन में डालकर उस बर्तन में पानी डाल दें जिससें की पानी उस बर्तन में ऊपर ही रहें। ठंडा होने के बाद पानी ऊपर आ जायेगा और जो मिश्रण इसमें डाला था वो जम जायेगा। अब उस पानी को फैंक दें ओर मिश्रण को दाद, खाज और फोड़े-फुंसियों पर लगाने सें लाभ होता है।
    सुहागा को पीसकर नींबू के रस के साथ मिलाकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
    56.नहरूआ : सुहागे को गिलोय के रस में मिलाकर पीने से नहरूआ का रोग नष्ट होता है।
    57.नाखून का रोग : नाखूनों की खुजली व सड़न में सुहागा, भुनी हुई फिटकरी, अमला सार, गन्धक तथा चीनी बराबर मात्रा में लेकर सभी को अच्छी तरह से पीसकर सफेद वेसलीन में मिलाकर मलहम तैयार कर लें। यह मलहम रोजाना 2 से 3 बार नाखूनों मे लगाने से लाभ मिलता है।
    58.पीलिया का रोग : 10-10 ग्राम सुहागा भुना, फिटकरी भुनी, शोराकलमी और नौसादर को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना 1-1 ग्राम की मात्रा में भोजन करने के बाद सुबह और शाम पानी से लेने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।
    59.मिर्गी (अपस्मार) : सुहागे की लावा (खील) 0.24 ग्राम से 0.96 ग्राम शहद के साथ सुबह और शाम को खाने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है।
    10 प्रतिशत सुहागे की खील के घोल को शुद्ध पानी में मिलाकर किसी नली के द्वारा 2 से 5 मिलीलीटर हफ्ते में 1 बार देने से मिर्गी रोग में बहुत लाभ मिलता है।
    60.दाद के रोग में : सुहागे को भूनकर लोहे के बर्तन में डालकर इसमें देसी घी मिला कर दाद पर लगाने से दाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
    राल, गन्धक और सुहागा को बराबर मात्रा में मिलाकर नींबू के रस के साथ पीसकर लगाने से 7 दिन में ही दाद जड़ से खत्म हो जाता है।
    61.गट्ठे (गांठे) होने पर : 2 ग्राम सुहागे की खील या लावा को शहद के साथ सुबह और शाम खाने से गुल्म या गट्ठे समाप्त हो जाते हैं।
    62.बालरोग : लगभग 0.12 ग्राम भुना हुआ सुहागा मां के दूध में मिलाकर सुबह बच्चे को पिलाने से फूला हुआ पेट ठीक हो जाता है।
    0.12 ग्राम भुना हुआ सोहागा और 0.6 ग्राम उसारा रेवन्द को दूध के साथ बच्चों को पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
    सुहागें का लावा पीसकर शहद में मिलाकर बच्चों के मसूड़ो पर लगाने से भी दांत निकलने में फायदा होता है।
    63.डब्बा रोग  : 10-10 ग्राम अपामार्ग, क्षार, नागरमोथा, अतीस, सुहागा और बड़ी हरड़ को थोड़े पानी में मिलाकर बच्चों को चटाने से डब्बा रोग (पसली चलना) समाप्त हो जाता है।
    3 ग्राम भुना हुआ हीरा-कसीस और 3 ग्राम आधा भुना हुआ सुहागा लेकर बकरी के दूध में पीसकर बाजरे के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इस 1-2 गोली को मां के दूध के साथ बच्चे को देने से पसली चलना रुक जाती है।
    64.जलने पर : 1 ग्राम सफेद सुहागें को 20 ग्राम पानी में मिला लें। इस पानी से शरीर के जले हुए भागों को धोने से घाव बिल्कुल ठीक हो जाता है।
    65.लिंगोद्रेक (चोरदी) : लिंग की उत्तेजना दूर करने के लिए लगभग 240 से 960 मिलीग्राम सुहागे की खीर रोजाना सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।
    66.गला बैठना : 5 से 10 ग्राम ऊंटकटोर का मूल स्वरस (जड़ का रस) अकेले या सुहागे की खील (लावा) के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन कराने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) ठीक हो जाता है।
    स्वरभंग (गला बैठने पर) होने पर सुहागे की टिकिया चूसते रहने से बैठे हुए गले में जल्दी आराम आता है।
    भुना हुआ चौकिया सुहागा और लौंग बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और फिर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर चने के बराबर की गोलियां बनाकर सुबह और शाम 2-2 गोलियां ताजे पानी के साथ खाने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
    यदि ज्यादा तेज बोलने के कारण गला बैठ गया हो तो थोड़ा सा कच्चा सुहागा मुंह में रखकर चूसते रहने से बैठे हुए गले में जल्दी आराम आता है।
    भुना हुआ चौकिया सुहागा और लौंग बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और फिर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर चने के बराबर की गोलियां बनाकर सुबह और शाम 2-2 गोलियां ताजे पानी के साथ खाने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
    यदि ज्यादा तेज बोलने के कारण गला बैठ गया हो तो थोड़ा सा कच्चा सुहागा मुंह में रखकर चूसने से आराम आता है।
    जिन लोगों का गला ज्यादा जोर से बोलने के कारण बैठ गया हो उन्हे आधा ग्राम कच्चा सुहागा मुंह में रखने और चूसते रहने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) 2 से 3 घंटो में ही खुल जाता है।

    Thursday, 18 August 2016

    रोजाना करें एक बाउल दही और चावल का सेवन, फायदे जान रहे जाएंगे हैरान


    आजकल की लाइफस्टाइल में हमे कोई न कोई सेहत संबंधी समस्या होती रहती हैं। इसका मुख्य कारण हमारा खुद पर अधिक ध्यान न देना। कई बार हमें इतनी ज्यादा शारीरिक समस्याओं का सामना करना पडता है कि ये नहीं समझ में आता है कि क्या करें।
    कई बार तो हमे पेट संबंधी समस्या जैसे एसिडिटी या पेट दर्द से अधिक परेशान हो जाते हैं। समझ में नहीं आता कि क्या करें। जिससे इस समस्या हमें निजात मिल जाएं। अगर आपके साथ ऐसा होता है, तो हम आपको बता दें कि एक कटोरी दही और चावल का सेवन करने से आपको इस समस्या से निजात मिल जाएगा।

    जी हां चौक गए न कि ऐसा कैसे हो सकता है। दही और चावल खाने से आपका पेट दर्द से कैसे निजात मिल जाएगा। लेकिन हम आपको बता दें कि इससे केवल आपको पेट संबंधी समस्याओं से ही निजात नहीं मिलेगा, बल्कि कई और बीमारियों में फायदेमंद साबित हो सकता हैं। जानिए इसका सेवन करने से होने वाले फायदों के बारें में।

    मोटापा से दिलाएं निजात :

    अब आप यह बोलेगे कि चावल खाने से तो मोटापा बढ़ता है, लेकिन चावल और दही खाने से आप मोटे नहीं होगे, बल्कि आपका मोटापा कम हो सकता हैं। इसके लिए आप सब कुछ छोड़कर कुछ दिन इसी का सेवन करें। तो आपको फर्क जरुर नजर आ जाएगा। इसमें कम कैलोरी होती हैं।

    बुखार :

    अगर आपको बुखार आ रहा है, तो आपके लिए दही और चावल काफी फायदेमंद हो सकता है। कई लोगों के साथ होता है कि बुखार में कुछ खाने का मन नहीं करता हैं। तो इसका सेवन करना लाभकारी होगा। इससे आपकी केवल भूख ही नहीं खत्म होगी, बल्कि आपके शरीर को भरपूर मात्रा में ऊर्जा मिलेगी। दही से आपकी इम्युनिटी पॉवर को बढ़ेगी। साथ ही इसमें उपस्थित एंटी-ऑक्सीडेंट बुखार से लड़ने में मदद करते हैं।

    अगर हो पेट खराब :

    अगर आपका पेट कराब हो जाता है। तो सिर्फ दही और चावल का सेवन करें। इससे आपकी भूख शांत हो जाएगी। साथ ही ये अच्छी तरह से पच जाता हैं। जिसके कारण आपको पेट में काफी आराम मिलेगा।

    कब्ज की समस्य़ा से दिलाए निजात :

    अगर आपको कब्ज की समस्या हो, तो इसका सेवन करें। क्योंकि दही में भरपूर मात्रा में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं तो आपके पाचन को सही करते हैं और आपके मल को मुलायम बनाने में मदद करते हैं। साथ ही इससे होने वाले दर्द से भी निजात दिलाते हैं।

    तनाव से दिलाएं निजात :

    आप तो यह जानकर हैरान हो जाएगे। कि इसके सेवन करने से आपको तनाव से भी निजात मिल सकता हैं। इसमें उपस्थित प्रोबायोटिक बैक्टीरिया, एंटी-ऑक्सीडेंट और अच्छे फैट्स के कारण यह आपके मूड को अच्छा बनाए रखने में मदद करता है।

    ऐसे बनाएं दही चावल :

    सबसे पहले एक बाउल में चावल लें और इसमें आधा बाउल दही मिलायें। एक पैन में थोड़ा सा तेल डालकर गर्म करें फिर उसमें जीरा और एक चौथाई चम्मच उड़द की दाल, 4-5 कड़ी पत्ते, धनिया की पत्तियां और नमक डालें। इस हल्का सा पकाएं और फिर इसे दही चावल को भी इसमें डाल दें।

    Wednesday, 17 August 2016

    गुड़हल 🌺🌺 के ये 13 अद्भुत फ़ायदों के बारे में जान जाओगे तो आप इसका उपयोग करने लगोगे


    ▶भारतवर्ष में सामान्यता गुडहल 🌺🌺 का पौधा सर्वत्र मिल जाता है लेकिन जब तक इसके उपयोग की जानकारी से अनजान है तब तक ये एक फूल का पौधा समझ कर ही लोग इसका उपयोग करते है 🌺 गुड़हल (Hibiscus) का फूल दिखने में जितना सुंदर होता है ये उतना ही फायदों से भरपूर भी होता है आयुर्वेद के अनुसार इसके फूल बहुत उपयोगी होते है।

    ▶ गुड़हल सामान्यत: दो प्रकार के है सफ़ेद 💮 गुडहल की जड़ो को पीस कर कई दवाओं का निर्माण होता है कई प्रकार के ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने और यहां तक कि ब्यूटी ट्रीटमेंट में गुड़हल के फूल का उपयोग किया जाता है स्ट्रेस और पॉल्यूशन के कारण कम उम्र में बालों के झड़ने की समस्या से परेशान हों या मुहांसे और पिंपल्स की समस्या हो यह दोनों में ही कारगर है। आइए जानते हैं किस तरह से 🌺🌸🌼💮 गुड़हल के फूल का इस्तेमाल किया जा सकता है-


    ➡ गुड़हल 🌺 के 12 अद्भुत फायदे :

    1. गुडहल की पत्ती 🌿 से बनी चाय एलडीएल कोलेस्टेरॉल को कम करने में काफी प्रभावी है इसमें पाए जाने वाले तत्व अर्टरी में प्लैक को जमने से रोकते हैं जिससे कोलेस्टेरॉल का स्तर कम होता है। गुड़हल के फूलों में एंटी-ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो कोलेस्ट्रॉल कम करने के साथ ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है। इसके लिए इसके फूलों को गरम पानी में उबालकर पीना फायदेमंद होता है।

    2. मधुमेह 🍇 या डायबिटीज के लिए नियमित आप इसकी 20 से 25 पत्तियों का सेवन शुरू कर दे ये आपकी डाइबिटीज का शर्तिया इलाज है -इसका पौधा नर्सरी से आसानी से मिल जाता है और इसे आप घर में लगा सकते है।

    3. अगर आपको किडनी की समस्या है तो आप गुडहल की पत्ती से बनी चाय का सेवन करे इसी चाय का लाभ डिप्रेसन के लिए भी होता है।

    4. गुड़हल का शर्बत 💖 दिल और दिमाग को शक्ति प्रदान करता है तथा ये आपकी मेमोरी पावर को बढ़ाता है जो लोग बढ़ते उम्र के साथ मेमोरी लॉस होने की समस्या से परेशान है और जब कम उम्र में याददाश्त कमजोर होने लगे तो गुड़हल इस समस्या को दूर करने में भी बहुत ही कारगर है गुड़हल की 10 पत्तियां और 10 फूल लें फिर इन्हें सुखाकर और पीसकर उसका पाउडर बना लें और किसी एयर टाइट डिब्बे में बंद करके रखें दिन में दो बार दूध के साथ इस पाउडर को लेना से आपकी मेमोरी पावर में काफी इजाफा होता है।


    5. मुंह में छाले हो गए है तो आप 🌺 गुडहल के  🌿 पत्ते चबाये आराम हो जाएगा।

    6. मैथीदाना, गुड़हल और बेर की पत्तियां पीसकर पेस्ट बना लें आप इसे 15 मिनट तक बालों में लगाएं इससे आपके बालों की जड़ें मजबूत और स्वस्थ होंगे।

    7. गुडहल में अधिक मात्रा में विटामिन सी होता है जब चाय या अन्य रूपों में इसका सेवन किया जाता है तो यह सर्दी और खांसी के लिए काफी फायदेमंद होता है इससे आपको सर्दी से जल्द राहत मिलेगी।

    8. बालों 👸 💇 के झड़ने की समस्या से लगभग हर कोई परेशान है गुड़हल के फूल इस समस्या को दूर करने में बहुत ही कारगर हैं ये न सिर्फ बालों का झड़ना रोकते हैं बल्कि इसके इस्तेमाल से एक अलग ही शाइनिंग बालों में नजर आने लगती है-गुड़हल की 6-8 पत्तियों को लेकर अच्छे से पीस लें इसे सिर और स्केल्प में अच्छे से लगाएं 3 घंटे रखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें ये स्केल्प को पोषण देने के साथ ही बालों की ग्रोथ में भी बहुत ही फायदेमंद होता है।

    9. बुखार व प्र दर में भी लाभकारी होता है यह शर्बत बनाने के लिए गुड़हल के सौ फूल लेकर कांच के पात्र में डालकर इसमें 20 नीबू का रस डालें व ढक दें। रात भर बंद रखने के बाद सुबह इसे हाथ से मसलकर कपड़े से इस रस को छान लें। इसमें 80 ग्राम मिश्री+20 ग्राम गुले गाजबान का अर्क+20 ग्राम अनार का रस+ 20 ग्राम संतरे का रस मिलाकर मंद आंच पर पका लें।

    10. गुड़हल का फूल सूजन के साथ ही खुजली और जलन जैसी समस्याओं से भी आपको राहत दिलाता है। गुड़हल के फूल की पत्तियों को मिक्सी में अच्छे से पीस लें तथा सूजन और जलन वाले हिस्से पर लगाएं कुछ ही मिनटों में समस्या दूर हो जाएगी।

    11. पिंपल्स और मुहांसों की समस्या से परेशान हैं तो गुड़हल की पत्तियों को पानी के साथ उबालकर अच्छे से पीस लें और इसमें शहद मिलाकर पिंपल्स पर लगाएं।

    12. महिलाओं 👸 👰 को अक्सर आयरन की कमी से एनीमिया की समस्या हो जाती है लेकिन बहुत ही कम लोग इस बात को जानते होंगे कि गुड़हल के फूल से भी एनीमिया का इलाज संभव है आप 40-50 गुड़हल की कलियों को सुखा कर फिर अच्छे से पीसकर उन्हें किसी एयर टाइट डिब्बे में बंद कर दें और रोजाना सुबह-शाम एक कप दूध के साथ यह पाउडर लें सिर्फ एक महीने में ही एनीमिया की समस्या दूर हो जाएगी और इससे स्टेमिना भी बढ़ता है।

    13. लार में वृद्धि और पाचन शक्ति को बनाने और मुँह के छालों के लिए गुड़हल की 🌿 3-4 पत्तियो को चबाना चाहिए। आपको लाभ होगा।


    Sunday, 14 August 2016

    ब्रेकफास्ट में पोहा खाने के हैं अनेको लाभ, जानिए

    पोहा इसके बारे में कौन नहीं जानता हैं। यह एक टेस्टी रेसिपी होती हैं। कूटे हुए चपटे चावल को पोहा कहा जाता है। जिसे आसानी से बनाया जा सकता हैं। पोहा में भरपूर मात्रा में आयरन और कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो कि आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद हैं। साथ ही इसे आसानी से पचाया जा सकता हैं। लेकिन आप ये बात जानते है कि पोहा हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद हैं। इसका सेवन करने से हमें कई लाभ मिलते है।
    अगर आप इसका सेवन ब्रेकफास्ट के समय करेगे। तो इसका फायदा कई गुना बढ़ जाता हैं। जानिए इसका सेवन करने के फायदो के बारें में।

    एनीमिया से दिलाएं निजात :

    पोहा में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता हैं। जिससे कि शरीर को आयरन और कोशिकाओं को ऑक्सीजन मिलता है। जिसके कारण शरीर में हीमोग्लोबिन और इम्यूनिटी बढती हैं। अगर किसी बच्चे को मां का दूध छुड़वाना है, तो उसे नरम पोहा खिलाना शुरु कर सकते हैं। इससे उसे पोषण भी मिलेगा।

    भरपूर मात्रा में पोषक तत्व :

    पोहा में अधिक मात्रा में सब्जियां इस्तेमाल की जाती है। जिसके कारण इसमें भरपूर मात्रा में खनिज, विटामिन और फाइबर पाया जाता हैं। अगर आप इसमें सोयाबीन, सूखे मेवे और अंडा आदि मिला देते है, तो इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीनभी प्राप्त हो जाती है।

    अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट :

    पोहे में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। जिसका सेवन करने से आपके शरीर को ऊर्जा और कई बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलेगी।

    कम मात्रा में होता है ग्लूटेन :

    अगर किसी चीज में अधिक मात्रा में ग्लूटेन होगा और उसका सेवन करने से आपको पेट संबंधी कई समस्याएं हो सती हैं। इसलिए इसका सेवन करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि इसमें बहुत ही कम मात्रा में ग्लूटेन होता है।

    डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद :

    अगर आपके घर में कोई डायबिटीज का मरीज है, तो उसे पोहा खाने को दे। इससे कम भूख लगती हैं। साथ ही ब्लड प्रेशर भी ठीक रहता हैं। इसके साथ ही आप जंक फूड और मीठे खाने से बच सकते हैं।

    अधिक मात्रा में कैलोरी :

    पोहा में अधिक मात्रा में कैलोरी पाई जाती हैं। आमतौर पर यह कई तरह से बनता है। जिसमें निम्न प्रकार से कैलोरी होती हैं।

    वेजिटेबल पोहा- 244 किलो कैलोरी
    मूंगफली पोहा- 589 किलो कैलोरी

    Thursday, 11 August 2016

    टॉन्सिल के दर्द से हो गए हो परेशान, तो अपनाएँ ये अचूक घरेलु उपाय.!!!

    गला जहाँ से शुरू होता है वहीं प्रवेश द्वार पर एक लोरी होती है माँस के छोटे, पतले व लंबे टुकड़े की भांति, इसे घाटी भी कहते हैं। इसमें जब सूजन आ जाता है तो इसे टांसिल या घाटी बढ़ना कहते हैं। देखने में छोटा यह लोरी जैसा माँस का टुकड़ा शरीर की सारी क्रियाओं को संतुलित करता है, जब इस लोरी में असंतुलन पैदा होता तो शरीर के पंचतत्वों में भी असंतुलन पैदा होने लगता है और इसकी वजह से कई प्रकार के रोग जन्म लेने लगते हैं। छोटे बच्चों में टांसिल्स या घाटी बढ़ जाने की वजह से वह कुछ पिलाने पर उल्टी कर देते हैं।
    पहले गांवों में कुछ ऐसी वैद्य महिलाएं होती थीं जो राख से घाटी को दबाकर ठीक कर देती थीं। लेकिन अब कोई यह जोखिम नहीं लेता है और चिकित्सक की सलाह पर दवा करना ज़्यादा पसंद करता है। आइए टांसिल के बारे में सही जानकारी प्राप्त करते हैं।
    टांसिल्स के प्रकार :
    टांसिल्स दो तरह के होते हैं।
    पहले प्रकार में दोनों तरफ़ या एक तरफ़ के टांसिल में सूजन आता है और वह सुपारी की तरह मोटा हो जाता है। उसके बाद उपजिह्वा में भी सूजन होकर वह रक्त वर्ण की हो जाती है। धीरे-धीरे यह खाने-पीने की नली को भी संक्रमित कर देता है और कुछ भी खाने-पीने में दर्द होता है। यह दर्द कान तक फैल जाता है। इस अवस्था में 103 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा बुखार चढ़ सकता है, जबड़े में दर्द हो सकता है तथा मुंह पूरा खुलता नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि समय पर उचित इलाज न मिला तो टांसिल पक कर फूट सकता है।
    दूसरे तरह के टांसिल क्रोनिक होते हैं। जिसे बार-बार टांसिल्स की बीमारी होती हैं, वह क्रोनिक हो जाती है। टांसिल का आकर बड़ा हो जाता है और सांस लेने व छोड़ने में तकलीफ़ होने लगती है।
    टांसिल के मुख्य कारण :
    – चावल, मैदा, ठंडे पेय पदार्थ, खट्टी चीज़ों का ज़्यादा सेवन टांसिल्स का मुख्य कारण है।
    – मौसम में अचानक परिवर्तन, गर्मी से अचानक ठंडे मौसम में आ जाना व सर्दी लगने से भी टांसिल्स हो सकते हैं।
    टांसिल के लक्षण :
    टांसिल होने पर ठंड लगने के साथ बुखार चढ़ता है। कुछ भी खाने-पीने में तकलीफ़ होती है और उसका स्वाद नहीं मिलता है। गले में तेज़ दर्द होता है, यहाँ तक कि थूक निगलने में भी दिक्कत होती है ।
    टांसिल के घरेलू उपचार :
    – टांसिल यदि हो गया है तो गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करने से लाभ मिलता है, सूजन कम हो जाती है।
    – दालचीनी या तुलसी की मंजरी का एक चुटकी चूर्ण, मधु में मिलाकर दिन में नियमित तीन बार सेवन करने से आराम मिलता है।
    – एक चम्मच अजवायन एक गिलास पानी में उबाल लें और उसे ठंडा करके गरारा करने से लाभ होगा।
    – हल्दी का चूर्ण दो चुटकी व काली मिर्च का चूर्ण आधी चुटकी लेकर एक चम्मच अदरक के रस में मिलाकर आग पर गर्म कर लें। रात को सोते समय मधु में मिलाकर इसका सेवन करें। नियमित दो-तीन दिन के प्रयोग से ही टांसिल का सूजन चला जाता है।
    – पानी में सिंघाड़ा उबाल लें और उसी पानी से कुल्ला करें। लाभ मिलेगा।
    सावधानी :
    टांसिल्स की समस्या है तो बिना नमक की उबली हुई सब्ज़ियों का प्रयोग करना चाहिए। मिर्च-मसाला, तेल, खट्टी व ठंडी चीज़ों के सेवन से परहेज़ करना चाहिए।