Saturday, 30 July 2016

जब खाना खाने का मन ही न करे तो आजमाएं ये अचूक नुस्खे

कहते हैं भूखे पेट भजन ना होय – यह उक्ति अक्षरश:  सत्य है, और भूख न लगना अनेक रोगों में एक लक्षण भी होता है।

-अगर भूख लगी हो और भोजन भी स्वादिष्ट हो ,फिऱ भी भोजन अच्छा न लग रहा हो तो -अरुचि ,

भोजन का नाम सुनने ,स्मरण करने ,देखने या स्पर्श करने से या गंध से ही अनिच्छा,उद्वेग और द्वेष होना -भक्त्द्वेश,

क्रोध के कारण ,डर जाने से या द्वेष  के कारण मन के अनुकूल भोजन रहने पर भी भोजन ग्रहण करने क़ी इच्छा न होना – अभक्तछंद के नाम से जाना जाता है।

आयुर्वेद इन सभी के पीछे शारीरिक और मानसिक कारण मानता है, आधुनिक विज्ञान भी गेस्ट्राइटीस,गेस्ट्रिककैंसर ,एनीमिया ,हाईपोक्लोरोहाईड्रीया आदि कारणों से इसे उत्पन्न होना मानता है। मानसिक कारणों में शोक,लोभ, क्रोध तथा मन के लिए अरुचि उत्पन्न करने वाले कारणों से इसकी उत्पत्ति  माना गया है।

आइये आपको हम कुछ साधारण आयुर्वेदिक नुस्खे बताते हैं जिससे इसे दूर किया जा सकता है ,लेकिन इनका सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक  के परामर्श से हो तो बेहतर होगा।

-भूना सफेद जीरा -250 मिलीग्राम ,सैंधा नमक -125 मिलीग्राम ,भूनी हींग -500 मिलीग्राम,चीनी – 250मिलीग्राम ,काली मिर्च -125 मिलीग्राम ,पीपर-250 मिलीग्राम इन सबको सुबह- शाम  देने से रोगी में लाभ मिलता है।

-काली मिर्च-250मिलीग्राम ,सौंफ-250मिलीग्राम ,सैंधा नमक -250 मिलीग्राम ,जीरा -250मिलीग्राम ,चीनी -2.5 ग्राम एवं भूनी हींग 500मिलीग्राम को चूर्ण के रूप में सुबह शाम गुनगुने पानी से लेना फायदेमंद रहता है।

-एक ही  प्रकार के भोजन को लगातार लेने से बचना चाहिए।

-रोगी को मनोनकूल  सादा एवं हल्का भोजन देना चाहिए।
-भोजन से पूर्व अदरख  या सौंठ  का प्रयोग  भी भूख बढाता है।

-कई बार मानसिक तनाव के कारण भी भूख नहीं लगती है,ऐसे में तनाव मुक्त होने मात्र से भूख लगने लगती है।

अत: हमें अपनी अग्नि का खय़ाल रखते हुए सात्विक,हल्का एवं स्वच्छ एवं पौष्टिक व् संतुलित आहार लेना चाहिए ,कहा भी गया है ‘जैसा खाओगे अन्न वैसा रहेगा मन।

स्वास्थ्य दोहावली

भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार ।
चबा चबा कर खाइए, वैद्य ना झाकेँ द्वार ।।

प्रात:काल फल रस लो , दुपहर लस्सी छाछ ।
सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश ।।

दही उड़द की दाल संग , प्याज दूध के संग ।
जो खाएँ इस साथ में , जीवन हो बदरंग ।।

प्रात: दोपहर लीजिये , जब नियम आहार ।
तीस मिनट की नींद लो , रोग न आवें द्वार ।।

भोजन करके रात में , घूमें कदम हजार ।
डॉक्टर ,ओझा , वैद्य का , लुट जाए व्यापार ।।

खून की कमी चुटकियो में दूर कर देंगे ये आहार

खून की कमी चुटकियो में दूर कर देंगे ये आहार
कितनी भी खून की कमी हो, अगर इन फूड्स को अपने भोजन में स्थान देंगे तो कुछ ही दिनों में खून की कमी दूर हो जाएगी। खून की कमी अक्सर औरतो में अधिक पायी जाती हैं। अगर आपके नाखून सफ़ेद हैं तो आप एनीमिक हो सकते हैं। भोजन के असंतुलन और हीमोग्लोबिन की कमी के कारण शरीर श्रम से प्रभावित होता हैं तथा यह रोग बढ़ जाता हैं। अर्थात मेहनत ज़्यादा और भोजन में पोषक तत्वों की कमी।

शरीर में खून की कमी तीन प्रमुख कारणों से होती हैं।

1. भोजन में लोह तत्वों की कमी।
2. फॉलिक एसिड की कमी
3. विटामिन बी 12 की कमी।

रक्त की कमी होने पर इन आहार को अपने भोजन में प्रमुख स्थान देने से आपकी रक्त की कमी कुछ ही दिनों में पूरी हो जाएगी।
1. हरी सब्जिया
भोजन में नियमित हरी शाक सब्जियों का मिश्रण पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए। मौसम के अनुकूल आने वाली सब्जियों का सेवन ज़्यादा करना चाहिए।

2. केला।
प्रात : तीन केले खाकर दूध में मिश्री, इलायची मिलाकर नित्य पीते रहने से रक्त की कमी दूर हो जाती हैं। यह पौष्टिक नाश्ता हैं।

3. अंगूर।
10 ओंस अंगूर का रस पीते रहने से रक्तालप्ता में लाभ होता हैं। अर्थात खून की कमी पूरी होती हैं।

4. नीम्बू।
जिनके शरीर में रक्त की कमो हो, शरीर दिन पर दिन गिरता जाए, उन्हें निम्बू और टमाटर के रस का सेवन लाभ पहुंचता हैं।

5. आंवला।
आधा कप आंवले के रस में दो चम्मच शहद, थोड़ा सा पानी मिलाकर पीने से लाभ होता हैं।

6. फालसा।
फालसा खाने से शरीर में रक्त बढ़ता हैं।

7. गाजर।
250 ग्राम गाजर के रस में पालक का रस मिलाकर पियें।

8. चुकंदर।
चुकंदर रक्त बढ़ाने में बहुत सहयोगी हैं। सीजन में इसका नित्य सेवन करना चाहिए। इसको डॉक्टर प्योर खून भी बोलते हैं।

9. प्याज
प्याज में लोहा बहुत होता हैं, अत : इसको कच्चा या इस का रस शरीर में खून बढ़ाता हैं। प्याज का रस और गाजर का रस आधा आधा कप मिलाकर पीने से रक्तक्षीणता दूर होती हैं। प्याज का रस चौथाई कप और आंवले का रस या आंवले का चूर्ण एक चम्मच मिलाकर लेने से रक्तक्षीणता दूर हो जाती हैं। प्याज का रस आधा कप तथा पालक और टमाटर का रस आधा आधा गिलास, सबको मिलाकर पीने से लाभ होता हैं। प्याज का रस दो चम्मच तथा शहद दो चम्मच मिलाकर पीने से खून की कमी दूर होती हैं।

10. अनार।
अनार नित्य खाने से कुछ ही दिनों में खून की कमी दूर होती हैं, और चेहरा लाल टमाटर जैसा बन जाता हैं।

11. शहद
रक्त की कमी हो तो दिन में तीन बार एक एक चम्मच शहद पानी में या दूध में डालकर पिए।

12. पालक
पालक की सब्जी और पालक का रस दोनों ही बहुत बढ़िया हैं खून बढ़ने में। इसके रस में स्वादनुसार शहद मिलाकर पी सकते हैं। इस से चेहरे पर लालिमा, शरीर में स्फूर्ति, उत्साह, शक्ति – संचार व् रक्त भृमण तेजी से होता हैं। चेहरे के रंग में निखार आता हैं। नेत्र ज्योति बढ़ती हैं।

13. रक्तवर्धक मुनक्का
60 ग्राम मुनक्के धो कर भिगो दे। बारह घंटो बाद इनको खाए। भीगे हुए मुनक्के पेट के रोगो को दूर कर रक्त बढ़ाते हैं। मुनक्के धीरे धीरे बढ़ा कर 200 ग्राम तक कर सकते हैं। वर्ष में इस प्रकार तीन चार किलो मुनक्के खाना बहुत लाभदायक हैं।

14. बेल
बेल का सूखा गूदा पीस ले। गर्म दूध में इसके दो चम्मच और स्वादनुसार पीसी मिश्री मिला कर पियें। यह अच्छा रक्तवर्धक टॉनिक हैं।

Wednesday, 27 July 2016

आयुर्वेदिक पद्धति से नशे और धुम्रपान का इलाज

मित्रो बहुत से लोग नशा छोडना चाहते है पर उनसे छुटता नहीं है !बार बार वो कहते है हमे मालूम है ये गुटका खाना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे ???
बार बार लगता है ये बीड़ी सिगरेट पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे !??
बार बार महसूस होता है यह शराब पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब हो जाती है तो क्या करे ! ????
तो आपको बीड़ी सिगरेट की तलब न आए गुटका खाने के तलब न लगे ! शराब पीने की तलब न लगे ! इसके लिए बहुत अच्छे दो उपाय है जो आप बहुत आसानी से कर सकते है ! पहला ये की जिनको बार बार तलब लगती है जो अपनी तलब पर कंट्रोल नहीं कर पाते नियंत्रण नहीं कर पाते इसका मतलब उनका मन कमजोर है ! तो पहले मन को मजबूत बनाओ!
मन को मजबूत बनाने का सबसे आसान उपाय है पहले थोड़ी देर आराम से बैठ जाओ ! आलती पालती मर कर बैठ जाओ ! जिसको सुख आसन कहते हैं ! और फिर अपनी आखे बंद कर लो फिर अपनी दायनी(right side) नाक बंद कर लो और खाली बायी(left side) नाक से सांस भरो और छोड़ो ! फिर सांस भरो और छोड़ो फिर सांस भरो और छोड़ो !
बायीं नाक मे चंद्र नाड़ी होती है और दाई नाक मे सूर्य नाड़ी ! चंद्र नाड़ी जितनी सक्रिये (active) होगी उतना इंसान का मन मजबूत होता है ! और इससे संकल्प शक्ति बढ़ती है ! चंद्र नाड़ी जीतने सक्रिये होती जाएगी आपकी मन की शक्ति उतनी ही मजबूत होती जाएगी ! और आप इतने संकल्पवान हो जाएंगे ! और जो बात ठान लेंगे उसको बहुत आसानी से कर लेगें ! तो पहले रोज सुबह 5 मिनट तक नाक की right side को दबा कर left side से सांस भरे और छोड़ो ! ये एक तरीका है ! और बहुत आसन है 
दूसरा एक तरीका है आपके घर मे एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसको आप सब अच्छे से जानते है और पहचानते हैं ! राजीव भाई ने उसका बहुत इस्तेमाल किया है लोगो का नशा छुड्वने के लिए ! और उस औषधि का नाम है अदरक ! और आसानी से सबके घर मे होती है ! इस अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! जब भी दिल करे गुटका खाना है तंबाकू खाना है बीड़ी सिगरेट पीनी है ! तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो ! और यह अदरक ऐसे अदबुद चीज है आप इसे दाँत से काटो मत और सवेरे से शाम तक मुंह मे रखो तो शाम तक आपके मुंह मे सुरक्षित रहता है ! इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब ही नहीं उठेगी ! तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा !
बहुत आसान है कोई मुश्किल काम नहीं है ! फिर से लिख देता हूँ !
अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! डिब्बी मे रखो पुड़िया बना के रखो जब तलब उठे तो चूसो और चूसो !
जैसे ही इसका रस लार मे घुलना शुरू हो जाएगा आप देखना इसका चमत्कारी असर होगा आपको फिर गुटका –तंबाकू शराब –बीड़ी सिगरेट आदि की इच्छा ही नहीं होगी ! सुबह से शाम तक चूसते रहो ! और 10 -15 -20 दिन लगातार कर लिया ! तो हमेशा के लिए नशा आपका छूट जाएगा !
आप बोलेगे ये अदरक मैं ऐसे क्या चीज है !????
यह अदरक मे एक ऐसे चीज है जिसे हम रसायनशास्त्र (क्मिस्ट्री) मे कहते है सल्फर !
अदरक मे सल्फर बहुत अधिक मात्रा मे है ! और जब हम अदरक को चूसते है जो हमारी लार के साथ मिल कर अंदर जाने लगता है ! तो ये सल्फर जब खून मे मिलने लगता है ! तो यह अंदर ऐसे हार्मोन्स को सक्रिय कर देता है ! जो हमारे नशा करने की इच्छा को खत्म कर देता है !
और विज्ञान की जो रिसर्च है सारी दुनिया मे वो यह मानती है की कोई आदमी नशा तब करता है ! जब उसके शरीर मे सल्फर की कमी होती है ! तो उसको बार बार तलब लगती है बीड़ी सिगरेट तंबाकू आदि की ! तो सल्फर की मात्रा आप पूरी कर दो बाहर से ये तलब खत्म हो जाएगी ! इसका राजीव भाई ने हजारो लोगो पर परीक्षण किया और बहुत ही सुखद प्रणाम सामने आए है ! बिना किसी खर्चे के शराब छूट जाती है बीड़ी सिगरेट शराब गुटका आदि छूट जाता है ! तो आप इसका प्रयोग करे !
और इसका दूसरे उपयोग का तरीका पढे !
अदरक के रूप मे सल्फर भगवान ने बहुत अधिक मात्रा मे दिया है ! और सस्ता है! इसी सल्फर को आप होमिओपेथी की दुकान से भी प्राप्त कर सकते हैं ! आप कोई भी होमिओपेथी की दुकान मे चले जाओ और विक्रेता को बोलो मुझे सल्फर नाम की दवा देदो ! वो देदेगा आपको शीशी मे भरी हुई दवा देदेगा ! और सल्फर नाम की दावा होमिओपेथी मे पानी के रूप मे आती है प्रवाही के रूप मे आती है जिसको हम Dilution कहते है अँग्रेजी मे 
तो यह पानी जैसे आएगी देखने मे ऐसे ही लगेगा जैसे यह पानी है ! 5 मिली लीटर दवा की शीशी 5 रूपये आती है ! और उस दवा का एक बूंद जीभ पर दाल लो सवेरे सवेरे खाली पेट ! फिर अगले दिन और एक बूंद डाल लो ! 3 खुराक लेते ही 50 से 60 % लोग की दारू छूट जाती है ! और जो ज्यादा पियाकड़ है !जिनकी सुबह दारू से शुरू होती है और शाम दारू पर खतम होती है ! वो लोग हफ्ते मे दो दो बार लेते रहे तो एक दो महीने तक करे बड़े बड़े पियकरों की दारू छूट जाएगी !राजीव भाई ने ऐसे ऐसे पियकारों की दारू छुड़ाई है ! जो सुबह से पीना शुरू करते थे और रात तक पीते रहते थे ! उनकी भी दारू छूट गई बस इतना ही है दो तीन महीने का समय लगा !
तो ये सल्फर अदरक मे भी है ! होमिओपेथी की दुकान मे भी उपलब्ध है ! आप आसानी से खरीद सकते है !लेकिन जब आप होमिओपेथी की दुकान पर खरीदने जाओगे तो वो आपको पुछेगा कितनी ताकत की दवा दूँ ??!
मतलब कितनी Potency की दवा दूँ ! तो आप उसको कहे 200 potency की दवा देदो ! आप सल्फर 200 कह कर भी मांग सकते है ! लेकिन जो बहुत ही पियकर है उनके लिए आप 1000 Potency की दवा ले !आप 200 मिली लीटर का बोतल खरीद लो एक 150 से रुपए मे मिलेगी ! आप उससे 10000 लोगो की शराब छुड़वा सकते हैं ! मात्र एक बोतल से ! लेकिन साथ मे आप मन को मजबूत बनाने के लिए रोज सुबह बायीं नाक से सांस ले ! और अपनी इच्छा शक्ति मजबूत करे !!!

अब एक खास बात !
बहुत ज्यादा चाय और काफी पीने वालों के शरीर मे arsenic तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप arsenic 200 का प्रयोग करे !
गुटका,तंबाकू,सिगरेट,बीड़ी पीने वालों के शरीर मे phosphorus तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप phosphorus 200 का प्रयोग करे !
और शराब पीने वाले मे सबसे ज्यादा sulphur तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप sulphur 200 का प्रयोग करे !!
सबसे पहले शुरुवात आप अदरक से ही करे !!
आपने पूरी पोस्ट पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !

आखिर हमें चाय क्यों नहीं पीनी चाहिए 

मित्रो चाय के बारे मे सबसे पहली बात ये कि चाय जो है वो हमारे देश भारत का उत्पादन नहीं है ! अंग्रेज़ जब भारत आए थे तो अपने साथ चाय का पौधा लेकर आए थे ! और भारत के कुछ ऐसे स्थान जो अंग्रेज़ो के लिए अनुकूल (जहां ठंड बहुत होती है) वहाँ पहाड़ियो मे चाय के पोधे लगवाए और उसमे से चाय होने लगी !

तो अंग्रेज़ अपने साथ चाय लेकर आए भारत मे कभी चाय हुई नहीं !1750 से पहले भारत मे कहीं भी चाय का नाम और निशान नहीं था ! ब्रिटिशर आए east india company लेकर तो उन्होने चाय के बागान लगाए ! और उन्होने ये अपने लिए लगाए !

क्यूँ लगाए ???

चाय एक medicine है इस बात को ध्यान से पढ़िये !चाय एक medicine है लेकिन सिर्फ उन लोगो के लिए जिनका blood pressure low रहता है ! और जिनका blood pressure normal और high रहता है चाय उनके लिए जहर है !!

low blood pressure वालों के लिए चाय अमृत है और जिनका high और normal रहता है चाय उनके लिए जहर है !

अब अंग्रेज़ो की एक समस्या है वो आज भी है और हजारो साल से है !सभी अंग्रेज़ो का BP low रहता है ! सिर्फ अंग्रेज़ो का नहीं अमरीकीयों का भी ,कैनेडियन लोगो का भी ,फ्रेंच लोगो भी और जर्मनस का भी, स्वीडिश का भी !इन सबका BP LOW रहता है !

कारण क्या है ???

कारण ये है कि बहुत ठंडे इलाके मे रहते है बहुत ही अधिक ठंडे इलाके मे ! उनकी ठंड का तो हम अंदाजा नहीं लगा सकते ! अंग्रेज़ और उनके आस पास के लोग जिन इलाको मे रहते है वहाँ साल के 6 से 8 महीने तो सूरज ही नहीं निकलता ! और आप उनके तापमान का अनुमान लगाएंगे तो – 40 तो उनकी lowest range है ! मतलब शून्य से भी 40 डिग्री नीचे 30 डिग्री 20 डिग्री ! ये तापमान उनके वहाँ समानय रूप से रहता है क्यूंकि सूर्य निकलता ही नहीं ! 6 महीने धुंध ही धुंध रहती है आसमान मे ! ये इन अंग्रेज़ो की सबसे बड़ी तकलीफ है !!

ज्यादा ठंडे इलाके मे जो भी रहेगा उनका BP low हो जाएगा ! आप भी करके देख सकते है ! बर्फ की दो सिलियो को खड़ा कर बीच मे लेट जाये 2 से 3 मिनट मे ही BP लो होना शुरू हो जाएगा ! और 5 से 8 मिनट तक तो इतना low हो जाएगा जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी ! फिर आपको शायद समझ आए ये अंग्रेज़ कैसे इतनी ठंड मे रहते है !घरो के ऊपर बर्फ, सड़क पर बर्फ,गड़िया बर्फ मे धस जाती है ! बजट का बड़ा हिस्सा सरकारे बर्फ हटाने मे प्रयोग करती है ! तो वो लोग बहुत बर्फ मे ररहते है ठंड बहुत है blood pressure बहुत low रहता है !

अब तुरंत blood को stimulent चाहिए ! मतलब ठंड से BP बहुत low हो गया ! एक दम BP बढ़ाना है तो चाय उसमे सबसे अच्छी है और दूसरे नमबर पर कॉफी ! तो चाय उन सब लोगो के लिए बहुत अच्छी है जो बहुत ही अधिक ठंडे इलाके मे रहते है ! अगर भारत मे कश्मीर की बात करे तो उन लोगो के लिए चाय,काफी अच्छी क्यूंकि ठंड बहुत ही अधिक है !!

लेकिन बाकी भारत के इलाके जहां तापमान सामान्य रहता है ! और मुश्किल से साल के 15 से 20 दिन की ठंड है !वो भी तब जब कोहरा बहुत पड़ता है हाथ पैर कांपने लगते है तापमान 0 से 1 डिग्री के आस पास होता है ! तब आपके यहाँ कुछ दिन ऐसे आते है जब आप चाय पिलो या काफी पिलो !

लेकिन पूरे साल चाय पीना और everytime is tea time ये बहुत खतरनाक है ! और कुछ लोग तो कहते बिना चाय पीए तो सुबह toilet भी नहीं जा सकते ये तो बहुत ही अधिक खतरनाक है !

इसलिए उठते ही अगर चाय पीने की आपकी आदत है तो इसको बदलीये !!
नहीं तो होने वाला क्या है सुनिए !अगर normal BP आपका है और आप ऐसे ही चाय पीने की आदत जारी रखते है तो धीरे धीरे BP high होना शुरू होगा ! और ये high BP फिर आपको गोलियो तक लेकर जाएगा !तो डाक्टर कहेगा BP low करने के लिए गोलिया खाओ ! और ज़िंदगी भर चाय भी पियो जिंदगी भर गोलिया भी खाओ ! डाक्टर ये नहीं कहेगा चाय छोड़ दो वो कहेगा जिंदगी भर गोलिया खाओ क्यूंकि गोलिया बिकेंगी तो उसको भी कमीशन मिलता रहेगा !

तो आप अब निर्णय लेलों जिंदगी भर BP की गोलीया खाकर जिंदा रहना है तो चाय पीते रहो ! और अगर नहीं खानी है तो चाय पहले छोड़ दो !
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एक जानकारी और !
आप जानते है गर्म देश मे रहने वाले लोगो का पेट पहले से ही अम्लीय (acidic) होता ! और ठंडे देश मे रहने वाले लोगो का पेट पहले से ही क्षारीय (alkaline) होता है ! और गर्म देश मे रहने वाले लोगो का पेट normal acidity से ऊपर होता है और ठंड वाले लोगो का normal acidity से भी बहुत अधिक कम ! मतलब उनके blood की acidity हम मापे और अपने देश के लोगो की मापे तो दोनों मे काफी अंतर रहता है !

अगर आप ph स्केल को जानते है तो हमारा blood की acidity 7.4 ,7.3 ,7.2 और कभी कभी 6.8 के आस पास तक चला जाता है !! लेकिन यूरोप और अमेरिका के लोगो का +8 और + 8 से भी आगे तक रहता है !

तो चाय पहले से ही acidic (अम्लीय )है और उनके क्षारीय (alkaline) blood को थोड़ा अम्लीय करने मे चाय कुछ मदद करती है ! लेकिन हम लोगो का blood पहले से ही acidic है और पेट भी acidic है ऊपर हम चाय पी रहे है तो जीवन का सर्वनाश कर रहे हैं !तो चाय हमारे रकत (blood ) मे acidity को और ज्यादा बढ़ायी गई !! और जैसा आपने राजीव भाई की पहली post मे पढ़ा होगा (heart attack का आयुर्वेदिक इलाज मे )!

आयुर्वेद के अनुसार रक्त (blood ) मे जब अमलता (acidity ) बढ़ती है तो 48 रोग शरीर मे उतपन होते है ! उसमे से सबसे पहला रोग है ! कोलोस्ट्रोल का बढ़ना ! कोलोस्ट्रोल को आम आदमी की भाषा मे बोले तो मतलब रक्त मे कचरा बढ़ना !! और जैसे ही रक्त मे ये कोलोस्ट्रोल बढ़ता है तो हमारा रक्त दिल के वाहिका (नालियो ) मे से निकलता हुआ blockage करना शुरू कर देता है ! और फिर हो blockage धीरे धीरे इतनी बढ़ जाती है कि पूरी वाहिका (नली ) भर जाती है और मनुष्य को heart attack होता है !

तो सोचिए ये चाय आपको धीरे धीरे कहाँ तक लेकर जा सकती है !!

इसलिए कृपया इसे छोड़ दे !!!
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अब आपने इतनी अम्लीय चाय पी पीकर जो आजतक पेट बहुत ज्यादा अम्लीय कर लिया है ! इसकी अम्लता को फिर कम करिए !

कम कैसे करेंगे ??

सीधी सी बात पेट अम्लीय (acidic )है तो क्षारीय चीजे अधिक खाओ !
क्यूकि अमल (acidic) और क्षार (alkaline) दोनों लो मिला दो तो neutral हो जाएगा !!

तो क्षारीय चीजों मे आप जीरे का पानी पी सकते है पानी मे जीरा डाले बहुत अधिक गर्म करे थोड़ा ठंडा होने पर पिये ! दाल चीनी को ऐसे ही पानी मे डाल कर गर्म करे ठंडा कर पिये !

और एक बहुत अधिक क्षारीय चीज आती है वो है अर्जुन की छाल का काढ़ा 40 -45 रुपए किलो कहीं भी मिल जाता है इसको आप गर्म दूध मे डाल कर पी सकते है ! बहुत जल्दी heart की blockage और high bp कालोस्ट्रोल आदि को ठीक करता है !!

एक और बात आप ध्यान दे इंसान को छोड़ कर कोई जानवर चाय नहीं पीता कुत्ते को पिला कर देखो कभी नहीं पियेगा ! सूघ कर इधर उधर हो जाएगा ! दूध पिलाओ एक दम पियेगा ! कुत्ता ,बिल्ली ,गाय ,चिड़िया जिस मर्जी जानवर को पिला कर देखो कभी नहीं पियेगा !!

और एक बात आपके शरीर के अनुकूल जो चीजे है वो आपके 20 किलो मीटर के दायरे मे ही होंगी ! आपके गर्म इलाके से सैंकड़ों मील दूर ठंडी पहड़ियों मे होने वाली चाय या काफी आपके लिए अनुकूल नहीं है ! वो उनही लोगो के लिए है! आजकल ट्रांसपोटेशन इतना बढ़ गया है कि हमे हर चीज आसानी से मिल जाती है ! वरना शरीर के अनुकूल चीजे प्र्तेक इलाके के आस पास ही पैदा हो पाएँगी !!
तो आप चाय छोड़े अपने अम्लीय पेट और रक्त को क्षारीय चीजों का अधिक से अधिक सेवन कर शरीर स्व्स्थय रखे

वन्देमातरम !

Tuesday, 26 July 2016

शहद खाएं तो इन बातों का रखें ध्यान वरना ये जहर बन जाएगा

शहद को आयुर्वेद में अमृत माना गया है।
रोजाना सही ढंग से शहद लेना सेहत के लिए अच्छा होता है। लेकिन गलत तरीके से शहद का सेवन करने से फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है। इसलिए जब भी शहद का सेवन करें नीचे लिखी बातों को जरूर ध्यान में रखें।

चाय, कॉफी में शहद का उपयोग नहीं करना चाहिए। शहद का इनके साथ सेवन जहर के समान काम करता है।अमरूद, गन्ना, अंगूर, खट्टे फलों के साथ शहद अमृत है।इसे आग पर कभी न तपायें।

मांस, मछली के साथ शहद का सेवन जहर के समान है।

शहद में घी या दूध बराबर मात्रा में हानिकारक है।

चीनी के साथ शहद मिलाना अमृत में विष मिलाने के समान है।

एक साथ अधिक मात्रा में शहद न लें। ऐसा करना नुकसानदायक होता है। शहद दिन में दो या तीन बार एक चम्मच लें।

–तेल, मक्खन में शहद जहर के समान है।

शहद खाकर किसी तरह की परेशानी महसूस हो रही हो तो नींबू का सेवन करें।

Monday, 25 July 2016

जोड़ों में कैसा भी दर्द हो ये नुस्खे अचूक हैं

अप्राकृतिक जीवनशैली ने शरीर की दंतुरुस्ती को बुरी तरह से प्रभावित किया है। प्रगति और विकास के नाम पर इंसान ने भले ही सुख-सुविधा के ढेरों-ढेर साधन जुटा लिये हों लेकिन इस पाने के एवज में जो खोया है वह उससे भी ज्यादा कीमती था। चारों तरफ तेजी से फेलते प्रदूषण और नैतिक ह्रास से आधुनिक इंसान शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्तरों पर कमजोर और खोखला होता जा रहा है।
हर दिन सैकड़ों नई बीमारियां पैदा हो रही हैं। चिकित्सा विज्ञान जब तक एक रोग का इलाज खोज पाता है, तब तक चार नए रोग सीना तान कर खड़े हो जाते हैं। जोड़ों का दर्द हो भी गलत खान-पान और प्रदूषण के दुष्प्रभाव का ही एक नतीजा है। असल में हमार शरीर इस प्रकृति का ही एक हिस्सा है। इसलिये शरीर से जुड़ी समस्याओं का समाधान भी हमें प्रकृति की गोद में ही मिल सकता है। आइये देखते हैं जोड़ों के दर्द का क्या है उत्तम समाधान….
1.दो - तीन दिन के अंतर से खाली पेट अरण्डी का 2 से 20 मि.ली. तेल पियें। इस दौरान चाय-कॉफी न लें। साथ में दर्दवाले स्थान पर अरण्डी का तेल लगाकर, उबाले हुए बेल के पत्तों को गर्म-गर्म बाँधने से वात-दर्द में लाभ होता है।
2. निर्गुण्डी के पत्तों का 10 से 40 मि.ली. रस लेने से अथवा सेंकी हुई मेथी का कपड़छन चूर्ण तीन ग्राम, सुबह-शाम पानी के साथ लेने से वात रोग में लाभ होता है। यह मेथीवाला प्रयोग घुटने के वातरोग में भी लाभदायक है। साथ में वज्रासन करें।
3. लहसुन की 10 कलियों को 100 ग्राम पानी एवं 100 ग्राम दूध में मिलाकर पकायें। पानी जल जाने पर लहसुन खाकर दूध पीने से दर्द में लाभ होता है।250 मि.ली. दूध एवं उतने ही पानी में दो लहसुन की कलियाँ, 1-1 चम्मच सोंठ और हरड़ तथा 1-1 दालचीनी और छोटी इलायची डालकर पकायें। पानी जल जाने पर वही दूध पीयें।
4. सिंहनाद गुगल की 2-2 गोली सुबह, दोपहर व शाम पानी के साथ लें।
5. ‘चित्रकादिवटी’ की 2-2 गोली सुबह-शाम अदरक के साथ 20 मि.ली. रस व 1 चम्मच घी के साथ लें।
विशेष:
अपनी क्षमता के अनुसार सुबह के समय आसन विशेषकर सूर्य नमस्कार और प्राणायाम करने से जोड़ों के दर्द से स्थाई रूप से छुटकारा पाया जा सकता है।

Sunday, 24 July 2016

बुढ़ापा, बीमारी और रोगनाशक रसायन चिकित्सा

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उत्तम रस-रक्तादी धातुओं की प्राप्ति जिस उपाय के द्वारा की जाती है, उसे रसायन चिकित्सा कहते है ।

(अष्टांगह्रदय, उत्तरस्थान:39.2)

रसायन औषधियों के सेवन से दीर्घायुष्य, स्मरणशक्ति, आरोग्य, चिरयौवन, देह व इन्द्रियों में उत्तम बल, शुक्रधातु की प्रचुरता व सुन्दरता की प्राप्ति होती है । रसायन द्रव्यों में आँवला व हरड सर्वश्रेष्ट है । रोगनाशन में हरड व वृद्धावस्था रोकने में आँवला श्रेष्ठ है ।

1) आँवला : प्रात: 10 से 15 मि ली आँवले के रस में शहद व घी सम्भाग मिलाकर सेवन करने व पथ्य भोजन करने से दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है । वृद्धावस्था दूर रहती है । सूखे आँवले के ही समान गुणकारी है ।

2) हरड: दो बड़ी हरड (या 3 से 4 ग्राम हरड चूर्ण) को घी में भूनकर नियमित सेवन करने से व घी पीने से शरीर में बल चिरस्थायी होता है ।

3) त्रिफला : हरड, आँवला व बहेड़ा के सम्मिश्रण से बने ‘त्रिफला चूर्ण’ में घी-मिश्री अथवा शहद मिलाकर खाने से शरीर बलवान बनता है । शरीर की शुद्धि व पुष्टि दोनों कार्य सम्पन्न होते है ।

4) शतावरी : शतावरी की ताजी जड़ का 10से 20 मि ली रस दूध में मिलाकर पीने से शरीर बलवान व पुष्ट होता है । शुक्र व् ओज क्षय के कारण उत्पन्न शारीरिक व मानसिक दुर्बलता को दूर करने के लिए शतावरी अत्यंत उपयुक्त है । ताजा रस सम्भव न हो तो 3 से 5 ग्राम शतावरी चूर्ण मिश्रीयुक्त दूध में मिलाकर लें ।

5) पुनर्नवा : ताजी पुनर्नवा की 20 ग्राम जड़ पीसकर दूध के साथ एक वर्ष तक सेवन करने से जीर्ण शरीर भी नया हो जाता है । ताज़ी पुनर्नवा उपलब्ध न होने पर पानी के साथ पुनर्नवा अर्क या गोलियों का उपयोग कर सकते है ।

6) अश्वगंधा या विदारीकंद अथवा सफेद मूसलीका 2 से 3 ग्राम चूर्ण गाय के दूध, घी अथवा गर्म जल के साथ लेने से शरीर अश्व के सामान बलवान हो जाता है । उपर्युक्त प्रयोगों में दूध, घी देशी गाय का ही लें तथा शुद्ध शहद का उपयोग करें ।

निर्देश : बालक व वृद्ध रसायन के अधिकारी नहीं है । इसका सेवन प्रात: खाली पेट करें । इसके साथ देश, ऋतू, प्रकृति व जठराग्नि के अनुसार हितकर आहार-विहार करें । स्त्री-सम्पर्क का त्याग आवश्यक है । इनसे हम थोड़े समय और थोड़े खर्च से मूल्यवान स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते है ।

Saturday, 23 July 2016

4 बूंद नाक में डालो, बेहोश व्यक्ति तत्काल होश में आएगा

प्रकृति ने मनुष्य को ऐसे-ऐसे वरदानों से नवाजा है कि वह चाहे तो भी जीवनभर उनसे उऋण नहीं हो सकता है। तुलसी भी ऐसा ही एक अनमोल पौधा है जो प्रकृति ने मनुष्य को दिया है। सामान्य से दिखने वाले तुलसी के पौधे में अनेक दुर्लभ और बेशकीमती गुण पाए जाते हैं। आइये जाने कि तुलसी का पूज्यनीय पौधा हमारे किस-किस काम आ सकता है-
– शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु भी तुलसी अत्यंत गुणकारी है।
इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है।
तुलसी के रस की कुछ बूंदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बेहोंश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है।
चाय(बिना दूध की)बनाते समय तुलसी  के कुछ पत्ते साथ में उबाल लिए जाएं तो सर्दी,बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती  है।
10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है।
तुलसी के काढ़े में थोड़ा-सा सेंधा नमक एवं पीसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी कालीमिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है।
दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है।

कलावा बांधने के पीछे छुपा हुआ है गहरा वैज्ञानिक रहस्य, जो कम लोग ही जानते होंगे

कलावा बांधने के पीछे छुपा हुआ है गहरा वैज्ञानिक रहस्य, जो कम लोग ही जानते होंगे

अक्सर घरों और मंदिरों में पूजा में पंडित जी हमारी कलाई पर लाल रंग का कलावा या मौली बांधते हैं. हम में से बहुत से लोग बिना इसकी जरुरत को पहचाते हुए इसे हाथों में बंधवा लेते हैं.
हिन्दू धर्म में हर धार्मिक कार्यक्रम में कलावा बांधने का विधान होता है. हम सभी जानते हैं कि हमारे घर में जब भी कोई पूजा होती है तो पुजारी सभी के हाथों की कलाई पर लाल रंग का धागा बांधते हैं, जिसे कलावा कहते हैं. कलावा बांधने का एक विधान होता है. इसे यूं ही जब मन करे तब नहीं बांधना चाहिए. आज हम आपको इससे जुड़े कुछ रहस्य बतायेंगे जो आज विज्ञान ने भी सच साबित किये हैं.

लेकिन हिंदू धर्म में कोई भी काम बिना वैज्ञानिक महत्त्व के नहीं होता. मौली का धागा कोई साधारण धागा नहीं होता.
यह कच्चे सूत से तैयार किया जाता है. यह कई रंगों जैसे, लाल, काला, पीला, या नारंगी रंगों में होता है. कलावा को लोग हाथ, गले, बाजू और कमर पर बांधते हैं. कलावा बांधने से आपको भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है.

इससे आप हमेशा बुरी दृष्टि से बचे रह सकते हैं. यही नहीं, इसे हाथों में बांधने से स्वास्थ्य में भी बरकत होती है. इस धागे को कलाई पर बांधने से शरीर में वात, पित्त तथा कफ के दोष में सामंजस्य बैठता है. माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से काफी हद तक बचाव होता है. शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है, इसलिये इसे बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है.
कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से काफी हद तक बचाव होता है.

कब और कैसे धारण करें कलावा?

शास्त्रों के अनुसार, पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए. विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का नियम है. कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों, उसकी मुठ्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए. पर्व के अलावा किसी अन्य दिन कलावा बांधने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है.

Thursday, 21 July 2016

दाँत के रोग

दाँत की सफाई तथा मजबूतीः
पहला प्रयोगः नींबू के छिलकों पर थोड़ा-सा सरसों का तेल डालकर दाँत एवं मसूढ़ों को घिसने से दाँत सफेद एवं चमकदार होते हैं, मसूढ़े मजबूत होते हैं, हर प्रकार के जीवाणुओं का नाश होता है तथा पायरिया आदि रोगों से बचाव होता है।
मशीनों से दाँत की सफाई इतनी हितकारी नहीं है।
दूसरा प्रयोगः बड़ और करंज की दातौन करने से दाँत मजबूत होते हैं।
तीसरा प्रयोगः जामफल के पत्तों को अच्छी तरह चबाकर उसका रस मुँह में फैलाकर,थोड़ी देर तक रखकर थूक देने से अथवा जामफल की छाल को पानी में उबालकर उसके कुल्ले करने से दाँत के दर्द, मसूढ़ों में से खून आना, दाँत की दुर्गन्ध आदि में लाभ होता है।
दाढ़ का दर्दः
कपूर की गोली अथवा लौंग या सरसों के तेल या बड़ के दूध में भिगोया हुआ रूई का फाहा अथवा घी में तली हुई हींग का टुकड़ा दाढ़ के नीचे रखने से दर्द में आराम मिलता है।
मसूढ़ों की सूजनः
जामुन के वृक्ष की छाल के काढ़े के कुल्ले करने से दाँतों के मसूढ़ों की सूजन मिटती है व हिलते दाँत मजबूत होते हैं।
दाँत खटा जाने परः
तिल के तेल में पीसा हुआ नमक मिलाकर उँगली से दाँतों को रोज घिसने से दाँत खटा जाने की पीड़ा दूर हो जायगी।
दाँत क्षत-विक्षत अवस्था में-
तिल के तेल से हाथ की उँगली से दिन में तीन बार दाँतों एवं मसूढ़ों की मालिश करें। 7 दिन बाद बड़ की दातौन को चबाकर मुलायम बनने पर घिसें। तिल के तेल का कुल्ला मुँह में भरकर जितनी देर रख सके उतनी देर रखें। मुँह आँतों का आयना है अतः पेट की सफाई के लिए छोटी हरड़ चबाकर खायें।
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रक्तस्राव बंद करने हेतुः
नमक के पानी के कुल्ले करने तथा कत्थे अथवा हल्दी का चूर्ण लगाने से गिरे हुए दाँत का रक्तस्राव बंद होता है।
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पायरियाः
पहला प्रयोगः नीम के पत्तों की राख में कोयले का चूरा तथा कपूर मिलाकर रोज रात को लगाकर सोने से पायरिया में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर दाँतों पर लगाने से दाँतों से निकलती दुर्गन्ध एवं रक्त बंद होकर दाँत मजबूत होते हैं तथा पायरिया जड़मूल से निकल जाता है। साथ में त्रिफला गुग्गल की 1 से 3 गोली दिन में तीन बार लें व रात्रि में 1 से 3 ग्राम त्रिफला का सेवन करें।
दाँतों की सुरक्षा हेतुः
भोजन के पश्चात् अथवा अन्य किसी भी पदार्थ को खाने के बाद गिनकर 11 बार कुल्ला जरूर करना चाहिए। गर्म वस्तु के सेवन के तुरंत पश्चात् ठण्डी वस्तु का सेवन न करें।
मसूढ़े के रोगी को प्याज, खटाई, लाल मिर्च एवं मीठे पदार्थों का सेवन बंद कर देना चाहिए।